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४ पौराणिक खण्ड । भगवान के पूर्वभव
07609के कल्पसूत्रादि पुराणों में भगवान महावीर के कई पूर्वभवों
-का वर्णन किया गया है। इस ग्रन्थ के पौराणिक
खण्ड की पूर्ति के निमित्त संक्षिप्त में इन भवों का वर्णन करना आवश्यक है। अतएव हम कई भिन्न २ ग्रन्थों के आधार पर भगवान महावीर के कुछ भवों का वर्णन नीचे
___ इस जम्बूद्वीप के अन्तर्गत पश्चिम विदेहक्षेत्र के आभूषण की तरह "जयन्ती” नामक एक नगरी है। उस नगरी में उस समय “शत्रुमर्दन" नामक एक महाप्रतापी राजा राज्य करता था। उसके राज्यान्तर्गत “पृथ्वी प्रतिष्ठात" नामक एक ग्राम था। उसमें "नयसार" नामक एक स्वामीभक्त ग्रामचिन्तक रहता था. यद्यपि वह साधुओं के संसर्ग से रहित था, तथापि पापों से पराङ्मुख और दूसरों के छिद्रान्वेषण से विमुख था। एक बार राजा की आज्ञा से लकड़ी काटने के निमित्त वह जंगल में गया. लकड़ो काटते काटते उसे मध्यान्ह होगया । भोजन का समय हो जाने से "नयसार" के नौकर उसके लिये भोजन सामग्री ले आये।
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