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भगवान महावीर
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है। आत्मा को शक्ति के सामने वैज्ञानिक चमत्कार तुच्छ है, जड़वाद विनाशो है, आत्मवाद उससे विरुद्ध है-अविनाशी है। नड़वाद से प्राप्त उन्नतावस्था और जड़े पदार्थों के आविष्कार सब नश्वर हैं, परन्तु आत्म-स्वरूप का प्रकाश और उससे होने चाला अपूर्व अानन्द सदा स्थायी है। इन बातों से बुद्धिमान मनुष्य समझ सकता है कि आध्यात्मिक तत्त्व कितने मूल्यवान और सर्वोत्कृष्ट हैं।
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