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भगवान् महावीर
विपत्तियों का समूह उनपर एक साथ इकट्ठा हो कर उतरा था पर भयङ्कर विपत्तियों के बीच उन महान् उपसर्गों के अन्तर्गत भी महावीर का आत्म-संयम रंच मात्र भी विचलित न हुभा। उनका धैर्य उस विकट समय में भी पर्वत की तरह अचल रहा । अत्यंत :शक्ति के साथ बिना एक उफ किये उन्होंने सब उपसर्गों को सहन किया।इन्हीं स्थानों पर भगवान महावीर के चरित्र की महत्ता मालूम होती है।
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