________________
में तीसरा अध्याय
आजीविक सम्प्रदाय
ईसा के पूर्व छठवीं शताब्दी में अर्थात् भगवान महावीर
के समय में भारतवर्ष के अन्तर्गत और भी कई छोटे बड़े
सम्प्रदाय प्रचलित थे । इतिहास के अन्तर्गत इन मतों में तीन मतों का अधिक उल्लेख पाया जाता है। बौद्ध, जैन और आजीविक । बौद्ध-धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का परिचय हम पाठकों को पहले दे चुके हैं। इस स्थान पर आजीविक सम्प्रदाय से हम उनका थोड़ा परिचय करवा देना चाहते हैं।
जिन लोगों ने पुराणों में भगवान महावीर के जीवन का पठन किया है। वे मश्करी पुत्र गौशाल के नाम से अपरिचित न होंगे। यही गौशाल आजीविक सम्प्रदाय के मुख्य प्रवर्तक
। जैन पुराणों में आजीविक सम्प्रदाय के प्रवर्तक “गौशाल को “मश्करीपुत्र" अर्थात् विदूषक कह कर उनकी खूब _____क उड़ाई है। इनकी जीवनी का कुछ विस्तृत विवेचन हम पौराणिक खण्ड में करेंगे । यहाँ पर सिल सिला जमाने के निमित्त कुछ सक्षिप्त विवेचन करेंगे।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com