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भगवान् महावीर
लिए इस विषय पर शङ्का उठाना ही निर्मूल है। हाँ यदि कालने पलटा खाया और बुद्धिवाद का और भी अधिक विकास हुआ तो सम्भव है कि, उस समय इस विषय पर अधिक . विचार होगा।
__ कल्पसूत्र के अन्दर लिखा है कि माता पिता ने मोह में पागल होकर तीन ज्ञान के धारी भगवान को एक अल्य बुद्धि शिक्षक के पास पढ़ने को रक्खा । भगवान ने उस शिक्षक को पहले ही दिन पराजित कर दिया । आदि ।
इन बातों से सहज ही यह निस्कर्ष निकाला जा सकता है कि भगवान महावीर बाल्य-काल से ही अद्भुत बुद्धिशाली, अपूर्व प्रतिभावान और तेजस्वी थे। । इसमें सन्देह नहीं कि भगवान महावीर के जीवन का एक एक भाग अध्ययन करने योग्य है। उनका जीवन बहुत ही
आदर्श था। पर यह सारा चमत्कार वहीं तक रहता है, जब तक हम उनको एक आदर्श मनुष्य रूप में देखते हैं। प्रारम्भ से ही यदिहम उन्हें अलौकिक प्रतिभाशाली(Supper human) मान लें तो यह सारा चमत्कार नष्ट हो जाता है ।
एक अंग्रेज़ लेखक ने महावीर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए क्या ही अच्छा कहा है ।:
But I want to interprete Mahabira's life as rising from "Manhood to Godhood" and not as from "Godhood to super Godbood". If that were so I would not even touch Mababira's Life as we are not Gods but men. Men is the greatest subject for man's study. There is a suffi.
cient education for humanity, and so humanity will leave Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com