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आप्तवाणी-८
पीते हैं, खून प्रवाहित होता है, लेकिन यह जीव नहीं कहलाता। यह तो मिकेनिकल है। जीव तो ज्ञान स्वरूप है, ज्ञान अर्थात् प्रकाशस्वरूप है। इसमें जो प्रकाशस्वरूप है ऐसा दूसरे स्वरूप में नहीं होता।
रात को अँधेरे में श्रीखंड हाथ में दें, तो फिर श्रीखंड कहाँ रखते हो? मुँह में रखते समय आँख में नहीं घुस जाता? या मुँह में ही जाता है? क्या कहते हो? क्यों बोले नहीं? घोर अँधेरे में श्रीखंड आपको दे तो आप मुँह में ही डालते हो न? फिर आपसे यदि कोई पूछे कि आपने क्या खाया, तो आप क्या कहते हो?
प्रश्नकर्ता : श्रीखंड।
दादाश्री : फिर आपसे पूछे कि इस श्रीखंड के अंदर क्या-क्या है? तब आप क्या कहोगे?
प्रश्नकर्ता : दही, चीनी।
दादाश्री : हाँ। और दही जरा बिगड़ गया है, ऐसा-वैसा हो तो पता चलता है या नहीं चलता?
प्रश्नकर्ता : अवश्य।
दादाश्री : और अच्छा हो तब भी पता चलता है न? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : और चीनी कम हो तो पता चलता है? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : चीनी अधिक हो तो पता चलता है? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : और चीनी बहुत अधिक हो तो? प्रश्नकर्ता : वह भी पता चलता है।