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आप्तवाणी-८
नर्कगति में सब तरफ़ गये हो, वे मनुष्य में से ही गए हैं। यह डार्विन की 'थ्योरि' बिल्कुल गलत नहीं है, उसकी 'थ्योरि' दस-पंद्रह प्रतिशत तक ठीक है। लेकिन असल में तो तीन सौ साठ 'डिग्रियाँ' होती हैं! और उन सभी का उसे पूरा-पूरा ज्ञान नहीं था। उसे बुद्धि से मिला वह ठीक है, 'करेक्ट' है। लेकिन फिर वह पूरा मार्ग एक मोड़ लेता है, उसके बारे में उसे पता नहीं है कि मनुष्य में आने के बाद वापस गाय-भैंस भी बनता है, ये गायभैंस, वह डेवलपमेन्ट की योनि नहीं है, वे तो मनुष्य में से जाते हैं।
यानी उत्क्रांति का नियम दस प्रतिशत ही सच है। बाकी के नब्बे प्रतिशत का उसे पता नहीं है। दस प्रतिशत में उसने मनुष्यगति तक की ही खोज की है न! मनुष्य के बाद में जो वक्रगति होती है, उसे यह समझ में नहीं आया कि मनुष्य में से हाथी किस तरह से बना? भैंसा किस तरह से बना? गेंडा किस तरह से बना? मछली किस तरह से बनी? व्हेल किस तरह से बनी? वह उसे समझ में नहीं आया। बाकी उनका यह जो उत्क्रांति का नियम है, डार्विन की थ्योरि है, वह ठीक है। लेकिन वह टेन प्रतिशत ठीक है। उससे आगे तो बहुत कुछ है। यह व्हेल किस तरह से बनती होगी? वहाँ पर कौन-सा उत्क्रांति का नियम आया? वह तो वक्रगति है, मनुष्य में से वापस लौटा है। यह गेंडा कहाँ से बना? वह भी मनुष्य में से वापस गया हुआ है। ये बाघ-सिंह कहाँ से वापस आए? मनुष्य में से वापस आए हैं। ये बाघ-सिंह और उनके बच्चे होते हैं, वे जब बच्चे होते हैं तभी से मांसाहार करते हैं या नहीं करते? और अपनी गाय-भैंसों के बच्चे? बड़े हो जाएँ, फिर भी मांसाहार नहीं करते। उसका क्या कारण है? तब कहे, "ये 'वेजिटेरियन' और ये 'नॉन वेजिटेरियन'।" यानी ऐसा इनमें भी पहचाना जा सकता है कि ये मनुष्य यहाँ पर भी 'वेजिटेरियन' थे, तो वे गाय-भैंस में आए हैं। और जो मनुष्य 'नोन वेजिटेरियन' थे, वे बाघसिंह में जन्मे हैं। वह सब पहचाना जा सकता है।
प्रश्नकर्ता : तो मनुष्य में जन्म लेने के बाद फिर पृथ्वीकाय, तेउकाय में जाते हैं या नहीं?
दादाश्री : पृथ्वीकाय या तेउकाय में नहीं जाते। बहुत हुआ तो स्थावर