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आप्तवाणी-८
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प्रश्नकर्ता : आपने कहा, आत्मा शुद्ध ही था। तो उसके बजाय किसी अन्य अशुद्ध शक्ति का ज़ोर अधिक है, तभी आत्मा अशुद्ध हो सकेगा
न?
दादाश्री : आत्मा अनंत शक्तिवाला है, उसी तरह पुद्गल भी अनंत शक्तिवाला है ! यह पुद्गल शक्ति जो है इसने तो पूरे आत्मा को बाँध ही दिया है, छूटने ही नहीं देता अब। यानी कि जड़ की भी अनंत शक्ति है। ये अणुबम डाले थे, वह नहीं देखा था? अर्थात् जड़ की भी अनंत शक्ति
प्रश्नकर्ता : जड़ की शक्ति, आत्मा की शक्ति से अगर अधिक मानी जाए तो वह फिर से आत्मा को ले जाएगी?
दादाश्री : फिर से मतलब? प्रश्नकर्ता : क्यों? शुद्ध होने के बाद फिर से अशुद्धि में ले जाए
तो?
दादाश्री : नहीं। शुद्ध होने के बाद उसे कुछ भी स्पर्श ही नहीं करता।
प्रश्नकर्ता : लेकिन पहले शुद्ध तो था ही न? वही फिर अशुद्ध हो गया था न?
दादाश्री : मूल स्वरूप से शुद्ध ही है। लेकिन यह जो दर्शन बिगड़ गया है न, वह दर्शन फिर से शुद्ध हो जाता है, इसलिए फिर अहंकार खत्म हो जाता है।
प्रश्नकर्ता : मेरा यही कहना है कि आत्मा शुद्ध था, निर्विकारी था... दादाश्री : और अभी भी निर्विकारी है।
प्रश्नकर्ता : वह ठीक है। लेकिन आपने कहा न कि जड़शक्ति ने बाँध दिया है?
दादाश्री : इसका मतलब क्या है कि आत्मा की शक्ति आवृत हो गई है और आवृत हुई इसलिए फिर उस शक्ति का इस जड़शक्ति में