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आप्तवाणी-८
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में जाता है। और अन्य कितने ही जीव जिन्हें देह नहीं मिलनेवाली हो, इस कारण से किसीको दो वर्ष, किसीको तीन वर्ष, ऐसा दण्ड मिलनेवाला हो, ऐसे उसके कर्म के उदय हों, तब वह प्रेतयोनि में रहता है।
यानी मृत्यु तो, यह कपड़ा बदलते हैं ऐसा ही है। जो-जो 'फिज़िकल' है न, वह सब खत्म हो जाता है या फिर सबकुछ यहीं पर पड़ा रह जाता है, और आत्मा को दूसरी योनि मिलती है।
प्रश्नकर्ता : वह किस तरह से सिद्ध कर सकते हैं कि मरने के बाद यह आत्मा दूसरी जगह पर गया? प्रमाण है क्या?
दादाश्री : पुनर्जन्म का? प्रश्नकर्ता : हाँ। और वह भी मनुष्य मान सके वैसा?
दादाश्री : हाँ, पुनर्जन्म माना जा सके, ऐसा प्रमाण मैं आपको दूंगा। ज़रा लंबा प्रमाण है न! आत्मा फिर से जन्म लेता है, इसका प्रमाण तो लोग माँगेंगे ही न!
पुनर्जन्म का 'प्रोसेस' कब तक? प्रश्नकर्ता : पुनर्जन्म कौन लेता है? जीव लेता है या आत्मा लेता है?
दादाश्री : नहीं, किसीको लेना ही नहीं पड़ता, हो जाता है। यह पूरा जगत् ‘इट हेपन्स' ही है।
प्रश्नकर्ता : हाँ, लेकिन वह किससे हो जाता है? जीव से हो जाता है या आत्मा से?
दादाश्री : नहीं, आत्मा को कोई लेना-देना ही नहीं है, सबकुछ जीव से ही है। जिसे भौतिक सुख चाहिए, उसे योनि में प्रवेश करने का 'राइट' (अधिकार) है। जिसे भौतिक सुख नहीं चाहिए उसका योनि में प्रवेश करने का 'राइट' चला जाता है।