________________
आप्तवाणी-८
३७
होते हैं। इनमें राग-द्वेष होने से कॉज़ेज़ उत्पन्न होते हैं, यह कॉज़ल बॉडी, वह फिर अगले जन्म में वापस इफेक्टिव बॉडी बन जाती है। यह कॉज़ल बॉडी है न, वह कारण शरीर कहलाता है, उसमें से यह कार्य शरीर हो जाता है।
यानी कारण शरीर बनने के बाद पार्लियामेन्टरी पद्धति से सबकुछ मिल आता है। और पार्लियामेन्टरी पद्धति बनने के बाद सिर्फ पार्लियामेन्ट' के विधेयक ही रह जाते हैं, परन्तु 'पार्लियामेन्ट' के सभी सदस्य चले जाते हैं। वे विधेयक एक-एक करके पास होते जाते हैं, योजना गढ़े हुए सभी विधेयक पास होते रहते हैं और उसका रूपक आता है, कुछ समझने जैसा तो होगा न? कुछ समझना तो पड़ेगा न?
__ आत्मा के साथ... प्रश्नकर्ता : यदि मेरा पुनर्जन्म होनेवाला हो तो मेरा आत्मा साथ में ही जाएगा न?
दादाश्री : साथ में ही जानेवाला है न! यहाँ से जब यह आत्मा निकलता है, तब कषाय इस शरीर में से, जो कुछ भी होता है न, वह झाड़-बुहारकर निकलते हैं। क्योंकि खुद की जो 'रोंग बिलीफ़' हैं न कि 'यह मैं हूँ', यानी 'मैं हूँ', ऐसा हुआ, वहाँ पर सबकुछ 'मेरा' हो गया और 'मेरा है', ऐसा हुआ उससे ये क्रोध-मान-माया-लोभ खड़े हो जाते हैं। आत्मा निकलता है, उसके बाद ये क्रोध-मान-माया-लोभ झाड़-बुहारकर बाहर निकल जाते हैं। वे भी फिर थोड़ी देर के बाद सबकुछ झाड़-बुहारकर, अंदर देह में कुछ रह नहीं जाए, उस प्रकार से निकल जाते हैं, कषाय ऐसे हैं।
अब आत्मा के साथ और क्या-क्या जाता है? 'कारण शरीर', यह कॉज़ेल बॉडी है और सूक्ष्म शरीर', उसे इलेक्ट्रिकल बॉडी कहा जाता है। जब तक यह स्थूल देह है, जब तक संसारी है, तब तक हर एक जीव में इलेक्ट्रिकल बॉडी रहती है और जब मोक्ष में जाता है तब इलेक्ट्रिकल बॉडी छूट जाती है और सिर्फ आत्मस्वरूप ही जाता है।