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उद्धरण-स्थल-संकेत (स्पष्टीकरण)
संगृहीत उद्धरणों के अन्त में दाईं ओर, उस ग्रन्थ का और उसके उस स्थल का र कोष्ठक के अन्दर संकेत किया गया है जहां से वह श्लोक/पद्य उद्धृत है।मुद्रण-सुविधा की दृष्टि से ग्रन्थ के नामव स्थल को प्रायः संक्षिप्त रूप में अंकित किया गया है जिसका स्पष्टीकरण इस प्रकार समझना चाहिए:
संक्षिप्त ग्रन्थ नाम ग्रन्थ का पूर्ण नाम
उद्धृत स्थल-संकेत
(स्पष्टीकरण) = अथर्ववेद
(काण्ड/सूक्त/मंत्र संख्या) = अग्निपुराण
(अध्याय/ श्लोक संख्या) = अत्रि स्मृति
(श्लोक संख्या) = आंगिरस स्मृति
(शक संख्या) = आपस्तम्ब स्मृति (अध्याय/श्लोक संख्या) = ईशावास्योपनिषद्
(मन्त्र-संख्या) = उत्तर रामचरित (भवभूति) (अंक/श्लोक संख्या) =ऋग्वेद
(मंडल/सूक्त/मंत्र संख्या) = ऐतरेय उपनिषद् (अध्याय/खण्ड/मंत्र संख्या) = ऐतरेय ब्राह्मण (पंचिका/अध्याय/खण्ड) = ऐतरेय आरण्यक (आरण्यक/अध्याय/खण्ड) = औशनस स्मृति
(श्लोक संख्या) =कठोपनिषद् (अध्याय/वल्ली मन्त्र संख्या) का. स्मृ. = कात्यायन स्मृति
(खण्ड/श्लोक संख्या)
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