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आजीविका न देना ।
सत्य के संदर्भ में नैतिक निर्देश
धार्मिक गृहस्थ निम्न निर्दिष्ट आचरण न करे :
(क) कन्यालीक - वैवाहिक सम्बन्ध में झूठी बात कहना ।
(ख) गवालीक - पशु - विक्रय के सम्बन्ध में झूठ बोलना ।
(ग) भूम्यलीक - भूमि के सम्बन्ध में झूठ बोलना ।
(घ) स्थापन मृषा - धरोहर या गिरवी रखी हुई वस्तु के सम्बन्ध में झूठ बोलना ।
(च) कूटसाक्षी - झूठी साक्षी देना ।
अहिंसा तत्त्व दर्शन
(१) सहसाभ्याख्यान- -झूठा आरोप लगाना ।
(२) रहस्याभ्याख्यान —- रहस्यपूर्ण बात का उद्घाटन कर आरोप
लगाना ।
(३) स्वदार - मंत्र - भेद - अपने प्रियजनों के रहस्य का प्रकाशन करना । (४) मिथ्योपदेश - झूठी बातें समझाना |
(५) कूटलेखक्रिया – झूठी लिखा-पढ़ी करना, खोटा सिक्का चलाना ।
अचौर्य के सम्बन्ध में नैतिक निर्देश
धार्मिक
'गृहस्थ निम्न निर्दिष्ट आचरण न करे : (१) स्तेनाहृत – चोरी की वस्तु खरीदना ।
(२) तस्कर - प्रयोग — चोरी कराने का धंधा करना ।
(३) विरुद्ध राज्यातिक्रम- - आयात-निर्यात सम्बन्धी राजकीय नियमों का अतिक्रमण करना ।
(४) कूटतुला - कूटमान - तौल - माप में अप्रामाणिकता बरतना ।
(५) तत्प्रतिरूपकव्यवहार - असली वस्तु दिखाकर नकली वस्तु देना, मिला
वट करना ।
ब्रह्मचर्य के संदर्भ में नैतिक निर्देश
धार्मिक गृहस्थ निम्न निर्दिष्ट आचरण न करे :
(१) इत्वरिकपरिगृहीतागमन - अल्पकाल के लिए गृहीत स्त्री के साथ
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सहवास करना ।
(२) अपरिगृहीतागमन - वैश्या या पर- स्त्री के साथ सहवास करना ।
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