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अहिंसा तत्त्व दर्शन पांचवें विकल्प को व्यवहारिक या सामाजिक अहिंसा कहा
जाता है। आठवां विकल्प अहिंसा का पूर्ण शुद्ध रूप है ।
शस्त्र-विवेक
हत्या के साधन को जैसे शस्त्र कहा जाता है, वैसे हिंसा के साधन को भी शस्त्र कहा गया है। हत्या हिंसा होती है, किन्तु हिंसा हत्या के बिना भी होती है । अविरति या असंयम, जो वर्तमान में हत्या नहीं किन्तु हत्या की निवृत्ति नहीं है, इसलिए वह हिंसा है। हत्या के उपकरणों का नाम है द्रव्य-शस्त्र और हिंसा के साधन का नाम है भाव-शस्त्र । यह व्यक्ति का वैभाविक गुण या दोष है, इसलिए यह मृत्यु का कारण नहीं, पाप-बन्ध का कारण है। द्रव्य-शस्त्र व्यक्ति से पृथक् वस्तु है। वह मूलतः हत्या का कारण बनता है। वह हत्या का कारण बनता है, इसलिए पाप-बन्ध का कारण भी होता है।
शस्त्र तीन प्रकार के होते हैं : (१) स्वकाय-शस्त्र, (२) परकाय-शस्त्र, (३) उभय-शस्त्र (स्व-काय और पर-काय दोनों का संयोग) जीव के छ: निकाय हैं : (१) पृथ्वी, (२) पानी, (३) अग्नि , (४) वायु, (५) वनस्पति, (६) त्रस । पृथ्वी द्वारा पृथ्वी का प्रतिघात-यह स्वकाय-शस्त्र है। पृथ्वी-अतिरिक्त वस्तु द्वारा पृथ्वी का प्रतिघात-यह परकाय-शस्त्र है।
पृथ्वी और उससे भिन्न वस्तु-दोनों द्वारा पृथ्वी का अपघात-यह उभयशस्त्र है। __ वायु के सिवा सबके लिए यही बात है। वायु का शस्त्र वायु ही है। चलनेफिरने, उठने-बैठने से वायु की हिंसा नहीं होती। चलने-फिरने में वेग होने पर तेज वायु पैदा होती है, उससे वायु की हिंसा होती है।
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