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________________ १२ आजीविका न देना । सत्य के संदर्भ में नैतिक निर्देश धार्मिक गृहस्थ निम्न निर्दिष्ट आचरण न करे : (क) कन्यालीक - वैवाहिक सम्बन्ध में झूठी बात कहना । (ख) गवालीक - पशु - विक्रय के सम्बन्ध में झूठ बोलना । (ग) भूम्यलीक - भूमि के सम्बन्ध में झूठ बोलना । (घ) स्थापन मृषा - धरोहर या गिरवी रखी हुई वस्तु के सम्बन्ध में झूठ बोलना । (च) कूटसाक्षी - झूठी साक्षी देना । अहिंसा तत्त्व दर्शन (१) सहसाभ्याख्यान- -झूठा आरोप लगाना । (२) रहस्याभ्याख्यान —- रहस्यपूर्ण बात का उद्घाटन कर आरोप लगाना । (३) स्वदार - मंत्र - भेद - अपने प्रियजनों के रहस्य का प्रकाशन करना । (४) मिथ्योपदेश - झूठी बातें समझाना | (५) कूटलेखक्रिया – झूठी लिखा-पढ़ी करना, खोटा सिक्का चलाना । अचौर्य के सम्बन्ध में नैतिक निर्देश धार्मिक 'गृहस्थ निम्न निर्दिष्ट आचरण न करे : (१) स्तेनाहृत – चोरी की वस्तु खरीदना । (२) तस्कर - प्रयोग — चोरी कराने का धंधा करना । (३) विरुद्ध राज्यातिक्रम- - आयात-निर्यात सम्बन्धी राजकीय नियमों का अतिक्रमण करना । (४) कूटतुला - कूटमान - तौल - माप में अप्रामाणिकता बरतना । (५) तत्प्रतिरूपकव्यवहार - असली वस्तु दिखाकर नकली वस्तु देना, मिला वट करना । ब्रह्मचर्य के संदर्भ में नैतिक निर्देश धार्मिक गृहस्थ निम्न निर्दिष्ट आचरण न करे : (१) इत्वरिकपरिगृहीतागमन - अल्पकाल के लिए गृहीत स्त्री के साथ Jain Education International सहवास करना । (२) अपरिगृहीतागमन - वैश्या या पर- स्त्री के साथ सहवास करना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003133
Book TitleAhimsa Tattva Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages228
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size10 MB
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