Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ ३० ४ ० १ परमाणुपुद्गल निरूपणम्
ર
भवति, एकत: - अपरभागे द्विपदेशिकः स्कन्धो भवति, एकतः - अन्यभागे द्वौ त्रिदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'अहवा एगयओ तिभि दुप्पएसिया खंधा, एगयओ तिपए लिए खंधे भव' अथवा एकत: - एकभागे त्रयो द्विपदेशिकाः स्कन्धा भवन्ति, एकतः - अपरभागे त्रिपदेशिकः स्कन्धो भवति, 'पंचहा कज्जमाणे एगयओ चचारि परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ' नव प्रदेशिकः स्कन्धः पश्यधा क्रियमाणः एकतः - एकभागे चत्वारः परमाणुपुद्गला भवन्ति, एकत:अपरभागे पञ्चमदेशिकः स्कन्धो भवति, ' अहवा एगयओ तिमि परमाणुपोग्गला, एमओ दुपए सिए खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवई' अथवा एकतः- एक भागे श्रयः परमाणुपुद्गला भरन्ति, एकतः - अपरभागे द्विपदेशिकः स्कन्धो भवति, एकत: - अन्यभागे चतुष्पदेशिकः स्कन्धो भवति, “अहवा एगयओ तिन्नि एमओ दो तिप्पएसिया खंधा भवंति, अथवा एक भाग में एक परमाणु पुल होता है, एकभाग में एक द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है और एक अन्य भाग में दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । ' अहवा - एगयओ तिमि दुष्पएसिया संधा, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवई' अथवा एक भाग में तीन विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं, और दूसरे भाग में एक त्रिप्र देशिक स्कन्ध होता है । ' पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणु पोग्गला एगयओ पंचपरसिए खंधे भवई' जब नौ प्रदेशवाले स्कन्ध को पांच हिस्सों में बांटा जाता है तब एक तरफ चार परमाणुपुद्गल होते हैं - और दूसरी तरफ पांच प्रदेशोंवाला एक स्कन्ध होता है'अहवा एगयओ तिमि परमाणु-पोग्गला एगयओ दुष्पएसिए खंधे, एमओ उपसिए खंधे भवई' अथवा एक भाग में तीन परमाणुपुटूल होते हैं, एक दूसरे भाग में द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है और अन्य
66
વિભાગ, એક દ્વિપ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ અને ત્રિપ્રદેશિક એ સ્કંધ રૂપ એ વિભાગા થાય છે. अहवा - एगयओ तिमि दुप्पएसिया खंधा, एगयओ तिप्पयसिप खंधे भवइ " अथवा द्विप्रदेशि भा २४६ ३५ भ विलागो भने त्रिप्रहेशि सुध ३५ मे विभाग थाय छे. “ पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगपओ पंच पएसिए खंधे भवइ " તે નવપ્રદેશિક 'ધના જ્યારે પાંચ વિભાગા કરવામાં આવે છે, ત્યારે એક એક પુદ્ગલપરમાણુવાળા ચાર વિભાગા અને પાંચપ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ થાય છે.
66
अहवा एगयओं तिन्नि परमाणुपोगाला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगमओ चउपपसिए खंधे भवइ " अथवा ४ मे परमाणु युद्धसवाणा त्रायुविलागी, એક દ્વિપ્રદેશિક કધ અને એક ચાર પ્રદેશિક કોંધ થાય છે. अहवा-पग
भ० ७
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦