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भावनाओं का यह अचिंत्य प्रभाव है । मोह-विषाद का जहर उतर जाता है । मोहजन्य वासनाएँ दूर हो जाती हैं । वासनापूर्ति की इच्छाएँ शान्त हो जाती हैं । यदि आप लोग यह चाहते हो तो शान्तसुधारस' ग्रंथ को अवश्य सुनें । नियमित रूप से सुनें । सुनने के बाद, रात्रि के समय चिंतन करें । मनन करें । दूसरे स्वजन, मित्रों के साथ भावनाओं के विषय में वार्तालाप करें। यह सब करने से धीरे-धीरे आपका मन मोह से मुक्त बनता जायेगा । आप शान्ति पाओगे, सुख का अनुभव करोगे ।
आज बस, इतना ही ।
प्रस्तावना
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