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शान्त सुधारस
प्रवचन : १५
अशरणभावना
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संकलना
मृत्यु के सामने अशरणता । वृद्धावस्था के सामने अशरणता । उग्र रोगों के सामने अशरणता ।
■ अनाथीमुनि का आत्मवृत्तान्त ।
अपने और दूसरों के नाथ कैसे बनें । संसार में जीव अनाथ अशरण । साधु भी अनाथ अशरण | कैसे ? संभूतमुनि: नियाणा, चक्रवर्ती, ७ वीं
नरक |
■ संभूतमुनि का मानसिक पतन ।
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