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समय वापस लौट गया, मेरे घर पहुँचा । मेरा मन संसार के वैषयिक सुखों से उद्विग्न हो गया । मैं गुरुदेव के पास चला गया और चारित्र का स्वीकार कर लिया । हे महामंत्री, यह घटना मेरी स्मृति में उभर आयी और मेरे मुँह से 'अतिभयम्' शब्द निकल गया ।
अभयकुमार, मुनिराज की आत्मकथा सुनकर स्तब्ध हो गये । ऐसी भयंकर घटना संसार में घट सकती है । इस विचार ने उनके मन को वैराग्य से भर दिया। उन्होंने मुनिराज को कहा :
है पूज्य, सच ही भगवान महावीर स्वामी ने संसार की जो असारता बतायी है, वह यथार्थ है । जिनवचन सत्य है। आपने संसार का त्याग कर संयम ग्रहण किया, उत्तम कार्य किया । मोक्षमार्ग की आराधना कर लेना यही संसार में सारभूत तत्त्व है।
चौथा प्रहर शुरू हो रहा था। चौथी घटना कौन-सी घटती है, यह बात कल बताऊँगा । आज बस, इतना ही ।
। संसार भावना
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