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योद्धा से भी ज्यादा तनाव सहता होता है । युद्ध में लड़नेवाला वोरियर' (warrior) कहलाता है, जब कि चिंता (वरि) करनेवाला वरियर (worrier) कहलाता है। ऐसे एक तनावग्रस्त योद्धा ने चिन्ता का पृथक्करण किया है और कहा है - - ३० प्रतिशत चिंताएँ ऐसी होती हैं कि जो अपरिवर्तनीय होती हैं । जिसके निर्णय ___ हो गये होते हैं। - १२ प्रतिशत चिंताएँ, दूसरों ने अपने लिए जो टीकाएँ की होती हैं, तविषयक
होती हैं। इनमें से बहुत सी टीकाएँ सच्ची नहीं होती हैं । - १० प्रतिशत चिंताएँ स्वास्थ्यविषयक होती हैं । -- ४० प्रतिशत चिंताएँ भविष्यविषयक होती हैं, जो निरर्थक होती हैं । - मात्र ८ प्रतिशत जितनी चिंताएँ सच्ची होती हैं, जिनका प्रतिकार योग्य समय
पर अपन कर सकते हैं। चिंताएँ अपना पीछा छोड़ती नहीं हैं, यह भी एक प्रकार का ब्लेक-मेइल ही कहा जायेगा ! वर्तमानकालीन मनुष्य को, पूर्वकालीन मनुष्य की अपेक्षा ज्यादा चिंताएँ रहती हैं । पूर्वकालीन मनुष्य जब एक गाँव से दूसरे गाँव जाता, तब जंगली जनावरों का भय रहता था। आज मनुष्य को हाइ-वे के ऊपर ट्रकों से डर लगता है ! चिन्ता नाम की डाकिन मनुष्य को नींद में भी सताती हैं, इसी कारण स्लीपिंग टेब्लेट की खोज हुई है न ! __ संसार में एक या दूसरे प्रकार की चिन्ताएँ मनुष्य को बनी ही रहती हैं । जब तक इच्छाएँ, कामनाएँ, अभिलाषाएँ बनी रहती हैं, तब तक चिन्ताएँ बनी रहती हैं । बनी रहेंगी ही। और एक दिन जादूगर की तरह महाकाल जीव को उठाकर ले जाता है । ___ महाकाल को ग्रंथकार ने जादूगर' कहा है । जैसे जादूगर मायाजाल फैलाता है वैसे यह संसार भी मायाजाल ही है । एक क्षण में मायाजाल को समेट कर महाकाल जीव को उठाकर ले जाता है । सब कुछ शून्य हो जाता है । जिनवचनों का सच्चा सहारा :
संसार का इस प्रकार से चिंतन करते रहना है । संसार की निःसारता, असारता, क्षणिकता का पुनः पुनः, बार-बार चिंतन करते हुए जब संसार के प्रति वैराग्य जगता है, विरक्ति आ जाती है, तब जिनवचन ही जीवों को आंतरिक शान्ति देते हैं । संसार-परिभ्रमण के भय को मिटाते हैं । जिनवचनों के सहारे ही जीव,
संसार भावना
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