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शान्त सुधारस प्रवचन : २४
: संकलना : * अपना रूप खोजना होगा। * कर्मवश जीव के अनेक स्प । * एकत्व से ही परम सुख की ओर।। * श्रीराम-महामुनि को अनुकूल उपसर्ग । * हृदयमंदिर में पूर्णात्मा की रमणता हो । * इन्द्रियाँ और आत्मरमणता । * समतासुधा का आस्वाद करें। * परमात्मभाव में वासना दृढ़ कैसे बनें ? * एकत्व-भावना से ही समतासुख ।
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