________________
शान्त सुधारस प्रवचन : १२
अनित्य भावना - ५
-
-
: संकलना : आत्मस्वरूप की पहचान कर लो ।। 'परमानन्द-पंचविंशति' में आत्मा की पहचान आत्मा शरीर में है । योगी ही आत्मदर्शन करते हैं । इसी जन्म में उत्सव मना लो । भीतर का उत्सव एकान्त में योगीपुरुष कैसे होते हैं ? प्रशमसुख' यानी मोक्षसुख मोक्ष यहीं पर है !
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org