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षड्दर्शन समुच्चय भाग - २, श्लोक - ४५-४६,
के अभाव का उल्लेख नहीं कर सकते है। नहि तो पिशाचादि अतीन्द्रिय पदार्थो का भी अभाव मानना पडेगा, क्योंकि वे भी दृश्य नहि है ।
जैनदर्शन
अत्र प्रतिविधीयते । E-13 तत्र यत्तावत् क्षित्यादेर्बुद्धिमद्धेतुकत्वसिद्धये कार्यत्वसाधनमुक्तं, तत् किं सावयवत्वं १, प्रागसतः स्वकारणसत्तासमवायः २, कृतमितिप्रत्ययविषयत्वं ३, विकारित्वं ४ वा स्यात् । यदि सावयवत्वं, तदेदमपि किमवयवेषु वर्तमानत्वं १, अवयवैरारभ्यमाणत्वं २, प्रदेशवत्त्वं ३, सावयवमितिबुद्धिविषयत्वं ४ वा स्यात् । तत्राद्यपक्षेऽवयवसामान्येनानैकान्तिकोऽयं हेतुः, तद्र्यवयवेषु वर्तमानमपि निरवयवमकार्यं च प्रोच्यते । द्वितीयपक्षे तु साध्यसमो हेतु:, यथैव हि क्षित्यादेः कार्यत्वं साध्यं, एवं परमाण्वाद्यवयवारभ्यत्वमपि । तृतीयोऽप्याकाशेनानैकान्तिकः, तस्य प्रदेशवत्त्वेऽप्यकार्यत्वात् । प्रसाधयिष्यते चाग्रतोऽस्य प्रदेशवत्त्वम् । चतुर्थकक्षायामपि तेनैवाने - कान्तो न चास्य निरवयवत्वं, व्यापित्वविरोधात्परमाणुवत् १ । नापि - 14 प्रागसतः स्वकारणसत्तासमवायः कार्यत्वं, तस्य नित्यत्वेन तल्लक्षणायोगात् । तल्लक्षणत्त्वे वा कार्यस्यापि क्षित्यादेस्तद्वन्नित्यत्वानुषङ्गात्, कस्य बुद्धिमद्धेतुकत्वं साध्यते । किं च, योगिनामशेषकर्मक्षये पक्षान्तःपातिन्यप्रवृत्तत्वेन भागासिद्धोऽयं हेतु: E-15, तत्प्रक्षयस्य प्रध्वंसाभावरूपत्वेन सत्तास्वकारणसमवाययोरभावात् २ । कृतमितिप्रत्ययविषयत्वमपि न कार्यत्वं, E- 16 खननोत्सेचनादिना कृतमाकाशमित्यकार्येऽप्याकाशे वर्तमानत्वेनानैकान्तिकत्वात् ३ । विकारित्वस्यापि कार्यत्वे महेश्वरस्यापि कार्यत्वानुषङ्गः, सतो वस्तुनोऽन्यथाभावो हि विकारित्वम् । तचेश्वरस्याप्यस्तीत्यस्यापरबुद्धिमद्धेतुकत्वप्रसङ्गादनवस्था स्यात्, अविकारित्वे चास्य कार्यकारित्वमतिदुर्घटमिति ४ ।
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जैन ( उत्तरपक्ष ) : वह ईश्वर - कर्तृत्व साधकयुक्तियों का खंडन इस प्रकार से है ।
आपने पृथ्वी आदि के बुद्धिमान कर्ता के रुप में ईश्वर की सिद्धि करने के लिए जो कार्यत्वहेतु को कहा है । उसमें आपको निश्चित करना चाहिए कि कार्य किसको कहा जाता है ? उसके चार विकल्प होंगे । (१) क्या जो अवयववाला हो उसको कार्य कहा जायेगा ? (२) पहले जिसका अभाव था, परंतु सत्ता का संबंध होने से तथा कारणो के साथ समवायविशिष्ट संबंध रखने के कारण "सत्" कहा जाता है, वह कार्य है ? (३) क्या जिसको देखने से ही "कृतम् " = किया हुआ है। ऐसी बुद्धि हो, उसे कार्य कहा जाता है ? (४) क्या जिसमें विकार हो, वह विकारिपदार्थ कार्य कहा जाता है ?
(E-13-14-15-16 ) - तु० पा० प्र० प० ।
यदि आप ऐसा कहोंगे कि "अवयववाले पदार्थ को कार्य कहा जाता है ?" तो हमारा प्रश्न है कि... सावयव किसको कहा जाता है ? (१) क्या जो पदार्थ अवयवो में रहता है, उसको सावयव कहा जाता है ? अथवा (२) क्या जो पदार्थ अवयवो के संयोग से उत्पन्न हुआ हो, उसको सावयव कहा जाता है। अथवा
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