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(282) : नंदनवन
प्रतिशत है। इसमें बहुत ही कम परिवर्तन आया है। परन्तु कला, पुरातत्त्व एवं इतिहास विषय की शोध का अनुपात प्रायः पचास प्रतिशत बढ़ा है। अर्थशास्त्र आदि आधुनिक विषयों की शोध में भी वृद्धि हुई है जबकि उसे और भी वर्धमान होना चाहिये। तुलनात्मक अध्ययन की शोध में न केवल कमी हुई है, अपितु इसका क्षेत्र भी केवल वैदिक, योग तथा बौद्धों तक ही सीमित है। जैनधर्म में भौतिक विज्ञान से सम्बन्धित विषयवस्तु पर शोध अभी भी 1.60 प्रतिशत ही है जबकि लगभग प्रत्येक सैद्धान्तिक ग्रन्थ में लगभग एक-तिहाई विवरण उसी से सम्बन्धित होता है। इसकी विषय-वस्तु में भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान, आहार एवं औषधि विज्ञान, ज्योतिष और गणित आदि की सामग्री आती है। आज के तुलनात्मक धर्म-दर्शन के युग में आधुनिक एवं वैज्ञानिक विषयों पर अधिक शोध की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में जैन विद्या से सम्बन्धित अनेक उपाधि-निरपेक्ष विद्वान् कुछ काम कर रहे हैं। इनसे मार्गदर्शन पाकर शोधार्थियों का जैन-मान्यताओं की वैज्ञानिकता को पल्लवित करने का प्रयत्न करना चाहिये। सारणी 3 जैन विद्याओ में शोध : विषयवार शोध संख्या का प्रतिशत क्रमांक विषय
1973 1983 1983-93 01. साहित्य (ललित)
39
35.50 व्यक्तित्व/ कृतित्व
6.15 03. न्याय/दर्शन
11.15 04. भाषा (प्रा./अप./विज्ञान)
14.74 आगम
3.46 नीति/आचार/धर्म
9.5
5.00 कला/पुरातत्त्व
2.60
7.17 आधुनिक विषय अ. इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र 2.50 ब. समाजशास्त्र
0.93 स. भूगोल
0.23 द. मनोविज्ञान
0.46 4.30 य. शिक्षा
0.23 09. तुलनात्मक अध्ययन
5.00 7.70
4.60 10. विज्ञान
2.00 1.20 1.60 11. विविध
3.00
02.
5.9
.
10.02
6.15
-
3.50
0.20
100.00
100.00
100.09
ललित साहित्य सम्बन्धी शोधकार्य
हम ललित साहित्य के अन्तर्गत विभिन्न भाषाओं की साहित्यिक कृतियां, साहित्यकार एवं भाषाविज्ञान को सम्मिलित कर विचार करेंगे। प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, हिन्दी तथा अन्य प्रान्तीय भाषाओं में उपलब्ध साहित्य के
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