________________
(462) :
नंदनवन
है।
भी वे यह कहते हैं कि सच्चा योगी शाकाहारी होकर ही रहेगा। शाकाहार सात्विक है और अशाकाहार राजसिक या तामसिक है। वैज्ञानिक अध्ययनों से एक ओर मांसाहार की अनेक हानियां सामने आई हैं, वहीं शाकाहार के गुणों का भी निदर्शन हुआ है। अतः मांस की शास्त्रीय अभक्ष्यता उत्पादन और प्रभाव दोषों के आधार पर और भी परिपुष्ट हुई है।
सारणी 5 - मांस सम्बन्धी शास्त्रीय और वैज्ञानिक सूचनाए शास्त्रीय सूचनाए
वैज्ञानिक सूचनाएं 1. उत्पादन (1) जीवों के शरीर में मांस का निर्माण (1) जीवों के शरीर में मांस का निर्माण
आहार के सप्त धातुमय परिवर्तन से आहार के सप्त धातुमय परिवर्तन से होता है।
होता है। (2) यह प्राणियों के घात से उत्पन्न होता (2) यह उच्चतर कोटि के प्राणियों के
घात के उत्पन्न होता है। वैज्ञानिक विधियों ने इस प्रक्रिया को प्रतिरोधी
एवं अ-जुगुप्सनीय बना दिया है। (3) मांस में सदैव सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं। (अ) इसमें सदैव सूक्ष्म जीवाणु उत्पन्न
होते रहते हैं। हिमीकरण से यह प्रक्रिया निरुद्ध होती है। सूक्ष्मदर्शी से ज्ञात होता है कि मांस सूक्ष्म रेशों के बंडलों एवं ऊतकों का समुदाय होता है। इसमें जल, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन होते हैं। इसके प्रोटीन की
कोटि उत्तम होती है। (4) मांस में अरुचिकर गंध होती है। (4) इसके गंध की अरुचिकता व्यक्तिगत
रुचियों पर निर्भर करती है। (5) मांस क्षुद्र पशुओं के लार के समान (5) मांस की अपवित्रता विज्ञानसम्मत नहीं अपवित्र है।
है। यह व्यक्तिगत रुचि का विषय है। 2. तर्क संगति
अन्न की तरह मांस की भक्ष्यता की (1) इससे शरीर तंत्र को वसा एवं धारणा स्त्री एवं माता की प्रोटीन की उच्च या अधिक मात्रा भोग्या-भोग्यता की मनोवृत्ति के मिलती है। इससे शरीर को ऊर्जा समान है।
अधिक प्राप्त होती है। इसमें विद्यमान आहार-घटक सुपाच्य होते हैं और उनका जैवमान
उच्च होता है। आहार-घटकों की लोक मर्यादा (3) विश्व की अधिकांश जनसख्या इसे होती है। गाय का दूध भक्ष्य है, पर आहार-घटक के रूप में ग्रहण उसी से उत्पन्न मांस अभक्ष्य है। करती है। अतः लोक मर्यादा का लोक मर्यादा मांस की अभक्ष्यता का प्रश्न नहीं है। समर्थन करती है।
7)
(2)
3)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org