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विदेशों में जैन धर्म का संप्रसारण : (505)
पश्चिमी औद्योगिक क्रान्ति ने विश्व के सभी भागों के मनुष्यों का दृष्टिकोण विस्तृत एवं परिवर्धित किया है। इस क्रान्ति के उत्तरवर्ती युग में भारत-ब्रिटेन के राजनैतिक सम्पर्कों के कारण अनेक पश्चिमी विद्वानों को भारतीय धर्मों और संस्कृति के विषय में अध्ययन करने में रुचि उत्पन्न हुई। इनमें से अनेक जैन धर्म और संस्कृति से प्रभावित हुये। 19वीं सदी के अन्त में तथा 20वीं सदी के प्रारम्भिक दशकों में एक दर्जन से अधिक पश्चिमी विद्वानों ने जैन धर्म पर शोध की, अनेक पुस्तकें लिखीं, अनेक ग्रंथों का अनुवाद किया। उन्होंने विभिन्न धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन की नई दिशा भी प्रारम्भ की। इस प्रकार, सर्वप्रथम पश्चिमी जगत् के विद्वान ही जैन धर्म और संस्कृति से प्रभावित हुये। हां, 1883 की प्रथम विश्व-धर्म-संसद में श्री वीरचन्द्र राघवजी गांधी के भाषण और उसके बाद उनके यूरोप में और अमेरिका के व्याख्यानों ने पश्चिम में जैन धर्म के प्रति रुचि जगाई। इसके फलस्वरुप, जैन धर्म पर अनेक भाषाओं में भी पुस्तकें लिखी गई। विश्वयुद्धों के उत्तर काल में अनेक भारतीय जैन व्यवसायी अपने व्यवसाय की प्रगति हेतु पश्चिम की ओर गए। उनकी जीवन शैली ने भी पाश्चात्यों को प्रभावित किया। इसके फलस्वरुप, अनेक विश्वविद्यालयों में जैन तन्त्र भी धार्मिक एवं दार्शनिक अध्ययन का विषय बना। वर्तमान में, यह माना जाता है कि एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमरीका में लगभग दो लाख जैन निवास करते हैं। इनको वहां रहते एक पीढ़ी से अधिक का समय हो गया है। अब तो तीसरी पीढ़ी भी सामने आने लगी है। इन नई पीढ़ियों में जैन धर्म के परम्परागत एवं परिवर्धित संस्कारों के परिपोषण के लिये प्रौढ़ पीढ़ी जागरूक हुई है। इसलिये विदेशवासी जैन इस दिशा में पिछले बीस वर्षों से अधिक रुचि लेने लगे हैं। उनके सामने परिरक्षण एवं संवर्धन- दोनों ही प्रश्न हैं। प्रारम्भ में, उनके सामने आचारगत एवं अनुष्ठानगत अनेक समस्यायें सामने आईं। उन्होंने व्यावहारिक दृष्टि से समाधान खोजते हुए धर्म संवर्धन के अनेक कार्य किये हैं
और अनेक संस्थाओं की स्थापना की है। उन्होंने जैन समाज इन यूरोप, फेडरेशन ऑफ जैन एशोसिएशन्स इन नॉर्थ अमेरिका (जैना), वर्ल्ड जैन कांग्रेस, महावीर जैन मिशन, जैन इंटरनेशनल, जैन मेडीटेशन सेंटर, ब्राह्मी सोसायटी, जाफना, वर्ल्ड काउंसिल ऑफ जैन एकेडमीज आदि अनेक संस्थायें प्रारम्भ की हैं। उन्होंने अनेक पत्रिकायें भी चालू की हैं। यह देखकर भारत में भी इस उद्देश्य से अहिंसा इंटरनेशनल, वर्ल्ड जैन मिशन, दिगम्बर जैन महासभा को विदेश विभाग, सी. जैन आदि अनेक संस्थायें सामने आई हैं। विभिन्न देशों में अनेक नगरों में 100 से अधिक जैन सेंटर खुले हैं, मंदिर और प्रतिष्ठान बने हैं। जैन डाइजेस्ट, जैन स्टडी सर्किल, जिनमंजरी, जैन स्पिरिट जैसी लोकप्रिय और शैक्षिक पत्रिकायें सामने आई हैं। विभिन्न जैन केन्द्रों के
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