Book Title: Nandanvana
Author(s): N L Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 569
________________ वर्णीजी का लेख जो मनुष्य आत्मीय उन्नति करना चाहते हैं, उन्हें बिताना उचित है । सदाचार का मूल कारण परिग्रह में यह व्यक्ति बहुत ही योग्य है, अतः मुझे पूर्ण विश्वास है अवश्य सदाचारी मनुष्य होगा । 11/12/51 टीकमगढ़ Jain Education International For Private & Personal Use Only सदाचार से जीवन मूर्च्छा का अभाव है। यह अपने जीवन में गणेश वर्णी www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592