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बम्बई और लन्दन : (539)
इतना आश्चर्य नहीं होता है। सरलतम अनुमान तो यह है कि लन्दन की वस्तुओं का मूल्य भारत में लगभग वही है जो लन्दन में सामान्य व्यक्ति के लिये देना पड़ता हैं। विदेश जाने पर आयात कर के कारण मूल्य बढ़ता है, जो स्वदेश में विभिन्न प्रकार के टैक्स के रूप में दिया जाता है। __ आवास भी मनुष्य की अनिवार्य आवश्यकता है। होटल को हम नियमित आवास नही कह सकते हैं। हां निवास के लिये बने या बनाये मकानों के किराये के लिहाज से बम्बई और लन्दन की तुलना नहीं करनी चाहिये। बम्बई के मकान असज्जित होते हैं। उनमें भोजन, पानी यंत्र उष्मक या विस्तर, आलमारी आदि कुछ नहीं होते हैं लेकिन लन्दन में यदि मकान पूर्ण सज्जित न होंगे, तो अर्ध सज्जित तो होंगे ही। पूर्ण सज्जा में पूरा फर्नीचर और गलीचा आदि शामिल होता है। साथ ही, फ्लशयुक्त पाखाने व ठंडे-गरम पानी की व स्नान टंकी की व्यवस्था तो साधारण है। वे सुविधायें कभी पृथक होती हैं और प्रायः संयुक्त होती हैं। अर्ध या पूर्ण सज्जित सुविधाओं के साथ लन्दन के कमरे का किराया 80-100 रू. महीने के औसत से सस्ता शायद ही मिले। राजकीय आवासों में भी परिवार के लिये मकानों का किराया 125 रू. तक पड़ता है।
स्वास्थ्य भी सदैव बनाये रखने की ओर ध्यान देना चाहिये। मिल-मजदूरों व दैनिक जीविका अर्जन करने वालों के लिये स्वास्थ्य की मधुरता नितान्त अनिवार्य है। भारत में स्वाथ्य संरक्षण अपौष्टिक भोजन आदि के कारण और भी आवश्यक है। भारत में स्वास्थ्य सुविधायें ब्रिटेन की तुलना में कम तो हैं ही, स्वास्थ्य संरक्षण मंहगा भी पड़ता है। लन्दन में निःशुल्क योजना राजकीय व्यवस्था के अन्तर्गत है जो ब्रिटेन को अन्य कई देशों से अलग करती है। इस योजना के अन्तर्गत अल्पतम व्यय में स्वास्थ्य संरक्षित रहता है। यह सही है कि डाक्टरों के यहां भीड़ काफी रहती है और कभीकभी तीन घन्टे का प्रतीक्षाकाल भी असह्य नहीं मानना चाहिये। उचित अवसरों पर डाक्टर रोगी के घर भी जाते हैं। डाक्टरों का रोगी के प्रति व्यवहार बहुत ही आश्चर्य और मनोवैज्ञानिक होता है।
उपर्युक्त से यह स्पष्ट है कि, भोजन, वस्त्र, आवास और स्वास्थ्य जैसी अनिवार्य आवश्यकताओं के मामले में लन्दन, बम्बई से सस्ता ही पड़ता है। हां, यहां एक चीज बम्बई से मंहगी है, वह है श्रम का मूल्य जो कई कोटियों में घटा हुआ है। एक झाडू लगाने वाले व्यक्ति के श्रम में और एक महाविद्यालय के प्रधान के श्रम में आर्थिक दृष्टि से बम्बई में 1:20 तक का अनुपात पाया जाता है। लन्दन में यह अनुपात लगभग 1:4 के आसपास बैठेगा। एक बोझा ढोने वाला कुली एक व्याख्याता से आर्थिक दृष्टि से बराबर ही बैठता है। यही कारण है कि हमें बहुत से विभिन्न प्रकार के
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