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(432) : नंदनवन
और भूतल का वातावरण भी उनकी सजीवता में सहायक बना रहता है एवं कन्दमूलों को उखाड़ने के बाद भी बना रहेगा। फलतः इस आधार पर जितनी हिंसा की बात की जाती है, उससे आधी भी होगी, यह विचारणीय है। वैसे तो जैन आचार्य अपने वर्गीकरण - विशेषज्ञता एवं गणितीय प्ररूपणों के लिये प्रसिद्ध हैं, पर हिंसा-अहिंसा की चर्चा करते समय वे उसकी परिमाणात्मकता के प्रति मौन ही रहे । सम्भवतः वे भावों या परिणामों की गणितीयता में निष्णात न हो पाये हों। फिर भी, वे अत्यन्त चतुर थे, जीवन के रक्षण और धार्मिक कार्यों के लिये उन्होनें 'सावद्यलेशो बहुपुण्यराशि 26 कहकर तीन प्रकार की हिंसाओं के पाप को, आत्महित तथा परहित साधन के लिये, दुर्बल बना दिया । आत्मरक्षण या परहित की इच्छा में संकल्प का अभाव - सा मानकर उसके कारण होने वाली तीन हिंसाओं को असंकल्पी बताकर उपेक्षणीय बता दिया। कन्दमूल सम्बन्धी हिंसा की कोटि भी इसी दुर्बल कोटि में आती है । 'विश्वग्- जीवचिते लोके' की धारणा से अनेक प्रकार की संज्ञाओं एवं व्यवसायों के कारण पांच स्थावर एकेन्द्रियों से ही सम्बन्धित हमारी दैनिक हिंसावृत्ति कितने परिमाण में होगी, यह परिकलित करना बड़ा कठिन है । फिर भी, यह अनन्त मानी जा सकती है। यदि अनन्त का मान उत्कृष्ट असंख्यात +1 मान लिया जाय और 'उत्कृष्ट असंख्यात का न्यूनतम मान उत्कृष्ट - संख्यात + 1 अर्थात् 1051 X 10216 (साइंटिफिक कटेंट्स इन प्राकृत कैनन्स, पेज 289-90 ) मान लिया जाय, तो प्रत्येक व्यक्ति की दैनिक औसत हिंसा का मान
1051 X10216 x 120 (समग्र हिंसा के यूनिट ) x 5 X 10 = 6 X 10274 यूनिट होगा । इसी प्रकार हम सामान्यतः 8 वर्ग सेमी. कन्दमूलों (जैसे आलू - यह उन सभी कन्दमूलों का प्रतिनिधि है जिन्हें हम न्यूनाधिक मात्रा में आहार में लेते हैं) का अपने आहार में प्रयोग करते हैं । कृषि विज्ञानियों एवं मार्डिया ने इसमें विद्यमान साधारण जीवों (सूक्ष्म जीव, कोशिकायें, जिन्हें वैज्ञानिक देख सकते हैं) की संख्या 10° प्रति वर्ग सेमी. और सजीवता 10 यूनिट मानी जाती है। इस आधार पर दैनिक भोजन में कन्दमूलजन्य हिंसा 8 X 108 X 103 x 120 10° यूनिट होगी। यदि इसके खोदने आदि की एवं आश्रित एकेन्द्रिय जीवों के हिंसन की बात भी जोड़ी जाय, तो यह संख्यात के आधार पर (संख्यात - अचलात्म, 10122, त्रिलोकप्रज्ञप्ति) निम्न होगी :
N
-3
10122 X 10° x 10 x 3 (कृत हिंसा ) x 8 वर्ग सेमी
=
2.4 X 10127 यूनिट
फलतः कन्दमूल के उखाड़ने एवं भक्षण में होने वाली कुल हिंसा 10 + 2.4 X 10 N 2.4X10 यूनिट होगी । यह हमारी दैनिक हिंसा 10274 के
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