________________
14. बहुबीजक
15. अज्ञात फल
16. अचार मुरब्बा 17. अनन्तकायिक 18. बेंगन
19. चलित रस
20. आमगोरस - संपृक्त द्विदल
21. तुच्छ फल 22. मृत्जाति
23.
24.
25.
मक्खन
चलितरस
द्विदल
धोलबड़ा
बहुज
अज्ञात फल
अचार मुरब्बा अनन्तकायिक
बेंगन
चलित रस
तुच्छ फल कच्ची मिट्टी अपक्व लवण
Jain Education International
जैन शास्त्रों में भक्ष्याभक्ष्य विचार
बहु
अज्ञात फल
अचार मुरब्बा अनन्तकायिक
बेंगन
चलित रस
द्विदल
तुच्छ फल
धोलबड़ा गारी
बहुबीजक
अज्ञात फल
अचार मुरब्बा अनन्तकायिक
उदाहरणार्थ, चलितरस कोटि में मद्य, मक्खन, अचार -मुरब्बा एवं द्विदल की कोटियां समाहित हो जाती हैं। बहुबीजक में बैंगन आ जाता है। ये पुनरावृत्तियां सुधारी जानी चाहिये। वर्तमान युग में इन अभक्ष्यों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है । नवयुग में अभक्ष्यों को कुल चार कोटियों में वर्गीकृत किया जा सकता है : 1. किण्वित 2. परिरक्षित अचार-मुरब्बा
मद्य
मधु
पंचोदुंबर
अनन्तकाय
बहुबीजक
बैंगन
बेंगन
चलित रस
तुच्छ फल मृत्जाति
धोलबड़ा
3. त्रस / स्थावर जीवघात 4. विविध
मांस
विष
बर्फ
ओला
For Private & Personal Use Only
: (451)
इनकी अभक्ष्यता के सम्बन्ध में शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक चर्चा आगे की जा रही है।
तुच्छ फल
अज्ञात फल
मृतजाति रात्रिभोजन
अपक्व लवण
किण्वित अभक्ष्य पदार्थ : (1) मद्य एवं मादक पदार्थ
वर्तमान में प्रचलित बाइस अभक्ष्यों में प्रायः सभी प्रकार के किण्वित एवं विकृत पदार्थ समाहित होते हैं। इनमें चार महा विकृतियां मुख्य हैं : मद्य, मक्खन, मधु और मांस। इनमें से प्रथम दो मद्य और मक्खन किण्वन से उत्पन्न होते हैं। इनके अतिरिक्त, 'नव पदार्थ' में दूध, दही, घृत, गुड़, मिठाई और तैल को भी विकृतियां ही माना है। इनमें भी दही और घृत किण्वन उत्पाद हैं । अन्यों की विकृतिता विचारणीय हैं। इन छहों को समय-सीमा में अभक्ष्य नहीं माना जाता। यहां केवल अभक्ष्य विकृतियों पर ही विचार किया जाएगा। इनमें पहला स्थान मद्य का है ।
www.jainelibrary.org