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(440) : नंदनवन
सारणी-2 : विभिन्न शास्त्रों में भोगोपभोग परिमाणव्रती एवं सचित्तत्याग
प्रतिमाधारी के आहार में सचित्त वनस्पति ग्रन्थनाम समय भोगोपभोग परिमाण सचित्त त्याग रत्नकरंड 2-3री सदी आर्द्र मूलक, अदरक, कच्चे (सचित्त) मूल, फल, श्रावकाचार
मक्खन, नीम और शाक, शाखा,कोंपल, कन्द, केतकी के फूल (85) प्रसून, बीज का त्याग
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चरित्तपाहुड़ 2-3री सदी भोजन का परिमाण सचित्त कन्दादि का
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अभक्षण 3. भावपाहुड़ 2-3री सदी -
क्द, मूल,बीज, पुष्प पत्रादि किंचि से संसार
भ्रमण 4. मूलाचार-1 2-3री सदी -
वल्ली, वृक्ष, तृण आदि वनस्पतियों का परिहार करना चाहिये। (साधु के
लिये, 217) 5. मूलाचार-2 2-3री सदी -
अनिर्वीज, मध्यसार-रहित. प्रासुक कल्पनीय है। (828) सचित्त, आम या अनग्निपक्व, कन्द, मूल, बीज, पुष्प, पत्रादि किंचि,
भक्षण का त्याग (827) .8 कार्तिकेयानुप्रेक्षा 10वीं सदी तांबूलादि (स्वाद्य) सचित्त पत्ते, फल, छाल,
का परिमाण, भोजन किसलय एवं बीज के
का परिमाण (350) भक्षण का त्याग (379) 7. वसुनंदिश्रावका 10वीं सदी ।
हरित या आर्द्र, छाल, पत्र, प्रवाल, कन्द मूल और
अप्रासुक जल का त्याग 8. सागारधर्मामृत 13वीं सदी त्रसघात, बहुघात, अप्रासुक हरित अंकुर,
प्रमाद, अनिष्ट, बीज, कच्चा जल, हरित अनुपसेव्य, कंद, वनस्पति का त्याग (7.8) कलींदा, द्रोणपुष्प आदि का सीमित
काल/आजन्म त्याग 9. चरित्र प्राभृत 16वीं सदी कन्द, शाक, पुष्प व सचित्त का अभक्षण टीका
अनेक वनस्पतियां, फल आदि का त्याग
(23) 10. सचित्त विवेचन 20वीं सदी । सचित्त और सचित्त को अचित्त करने
अचित्त-दोनों भक्ष्य पर भक्ष्य है।
चार
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