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जीव की परिभाषा और अकलंक : (341)
(अनुभूति, शरीर क्रियाएँ, शिक्षा, संस्कृति) और अदृश्य (कर्म आदि) कारकों पर निर्भर करती है। मस्तिष्क के विशिष्ट केन्द्रों के सामने चेतना की भी अनेक विभक्त अवस्थाएँ होती हैं जो विशिष्ट गुणों के निरूपक होती हैं। योगी और वैज्ञानिक तथा विद्यार्थी और सामान्यजन की चेतना की अवस्थाऍ भिन्न-भिन्न होती हैं । हमारे मस्तिष्क की क्रियाएँ / दशाएँ चेतना की इन अवस्थाओं की प्रतीक हैं। आज के वैज्ञानिक मानते हैं कि सामान्य चेतना द्विरूपिणी होती है - भौतिक और मानसिक मूर्त और अमूर्त। इसका मूर्त रूप हमारी सामान्य जीवन-क्रियाओं का निरूपक है और मानसिक रूप ज्ञान-दर्शन के गुणों का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि ये दोनों रूप अविनाभावी- से लगते हैं। आज की ये वैज्ञानिक मान्यताएँ अभी तक तो चेतना य आत्मा की अमूर्तता पुष्ट नहीं कर पाई हैं पर वे इसी दिशा की ओर अभिमुख हो रही हैं, ऐसा लगता है। इस तरह आज का विज्ञान अकलंक के बुद्धिवादी युग की धारणाओ को प्रयोगवाद का स्वरूप देता दिखता है ।
सहायक पाठ्यसामग्री
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4. आचार्य, पूज्यपादः सवार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1971
5. जैन, एन.एल.: साइंटिफिक कंटेट्स इन प्राकृत केन्नस, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी
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6. शास्त्री, बालचन्द्रः जैन लक्षणावली 1-2, वीर सेवा मंदिर, दिल्ली, 1951-53
7. भट्ट, अकलंक तत्त्वार्थवार्तिक 1-2, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, 1951-53
8. जैनी, पी. एस. जैन पाथ आव प्योरिफिकेशन, मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली, 1980
9. आचार्य कुन्दकुन्दः प्रवचनसार, श्रीमद्राजचन्द्र आश्रम, अगास, 1984
10. तथैवः समयसार, सी.जे.पी.एच., लखनऊ, 1930
11. उत्तराध्ययन-2 जैन विश्व भारती, लाडनूँ, 1993
12. स्वामी, सुधर्माः भगवती सूत्र - 1 तथैव, 1994
13. आर्य, श्यामः प्रज्ञापना सूत्र 1-2 आ. प्र. स. व्यावर, 1982-84
14. स्वामी, सुधर्मा : आचारांग - 1, तथैव, 1980
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15. चतुर्वेदी, गिरिधर शर्मा वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति, वि. रा. परिषद् पटना, 1972 16. दीक्षित, के.के.: जैन आन्टोलाजी, एल.डी. इंस्टीच्यूट, अहमदाबाद, 1971
17. सत्यभक्त, स्वामी सत्यामृत -2, सत्याश्रम, वर्धा, 1932
18. आचार्य, उमास्वामी : तत्त्वार्थ सूत्र, वर्णीग्रन्थमाला, वाराणसी, 1950
19. कैरियर, मार्टिन आदिः माइड, ब्रेन एण्ड बिहेवियर, डी गायटर, न्यूयार्क 1991
20. अग्रवाल, पारसमलः तीर्थकर वाणी 1996 में प्रकाशित विविध लेख
21. कन्नन ए: होलेस्टिक ह्यूमन कंसर्न फार वर्ल्ड वेलफेयर थियो. सोसायटी मद्रास, 1988
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