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(410) : नंदनवन
बताते हैं कि हमारे आचरण एवं व्यवहारों के मूल कारण कर्म के अतिरिक्त अन्य कारक भी हैं :
1. शरीर तंत्र में होने वाली रासायनिक एवं जीव-रासायनिक क्रियायें 2. जीव- वैद्युत प्रकृति में परिवर्तन
3. ग्रंथियों के स्राव एवं नाड़ी तंत्र
4. अनुवांशिकता ( जीन) और महत्त्वाकांक्षायें
5. आन्तरिक एवं बाह्य परिवेश आदि
वैज्ञानिक, इसीलिये, हमारे व्यवहारों या वर्तमान की व्याख्या भौतिक जीवन के आधार पर करते हैं जबकि कर्मवाद आध्यात्मिक जीवन - पूर्वजन्म और भावीजन्म के आधार पर करता है । इस संदर्भ में कर्मवाद से सम्बन्धित शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक मान्यताओं की तुलना उपयोगी होगी ।
बल रेखायें
कर्म
आत्मा
चुंबक
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आत्मा
शुद्ध
निर्जरा
मुक्त
चित्र 1: कर्मों का चित्रात्मक रूप
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- कार्मन
कर्म बन्ध की अवस्था
कर्म-पुद्गल
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