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कर्मवाद का वैज्ञानिक पक्ष : (413)
कर्म
कमी आई है। इस आधार पर कर्मों के क्षयोपशम में वृद्धि हुई है। इससे हम यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि विज्ञान कर्मों के विनाश में भी (ध्यान आदि के माध्यम से) हमारा सहायक होगा।
सारणी 2 : चेतना की आवरक कुछ घटनाएं और उनके उपचार क्रं. घटना कारणभूत-कर्म निदान
उपचार 1. मंदबुद्धिता ज्ञानावरण कर्म का आनुवांशिक, ग्लूटैमिक अम्ल उदय
परिवेशी, ऑक्सीजन- उपभोग में कमी, फेनिल पायरुविक अम्ल की
मात्रा 2. अल्प-स्मृति ज्ञानावरण कर्म का न्यूरान-प्रेरित ब्राह्मी, शंखपुष्पी का उदय RNA में
सेवन
उत्परिवर्तन 3. बौनापन नामकर्म का उदय थायरायड हार्मोन की थायरोक्सिन
कमी 4. मिर्गी वेदनीय, अन्तराय मस्तिष्क के गोलक गोर्डिनोल, और ज्ञानावरणीय में आकस्मिक विक्षोभ डाइलेन्टीन, अपस्मार
वटी 5. मादकता मोहनीय, मस्तिष्क तंत्रिकायें,
ज्ञानावरण, संगति, परिवेश,
दर्शनावरण कर्म अनुवांशिकता 6. क्षय, कैंसर, असातावेदनीय चिन्ता, खानपान की विभिन्न औषधियां,
हृदय, मधुमेह कर्म/अन्तराय आदतें, अतिश्रम शल्य क्रिया, आदि रोग कर्म
आदि
विद्युत प्रवाह, हृदय
प्रतिरोपण आदि 7. हिंसक वृत्ति, मोहनीय कर्म एड्रीनल हार्मोन में समुचित आहार द्वारा क्रोध आदि
न्यूनाधिकता, स्राव नियंत्रण, ध्यान, नोरएड्रेनलीन, सेरोटोनिन
डोपामीन आदि 8. भ्रष्टाचार पुण्य/पाप कर्म सामाजिक/ प्रारम्भ से नैतिक
राजनीतिक परिवेश शिक्षा, अपराध पर
दंड निश्चित देना 9. लम्बे
पुण्य कर्म/नाम आनुवांशिक, ध्यान आदि द्वारा उपवास/ कर्म
उपदेश-प्रेरणा, अधिकाधिक आंतरिक समाधि की
आदर्श उदाहरण ऊर्जा संचय प्रवृत्ति 10. वर्ण-व्यवस्था गोत्र कर्मोदय सामाजिक/धार्मिक उन्नति के लिए
संतों की व्यवस्था, समुचित सुविधाएं स्वार्थ साधन परिग्रह त्यागवृत्ति
एन्टाब्यूज आदि
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