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(358) :
नंदनवन
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णमो उवज्झायाणं आई बो टू प्रीसेप्टर्स णमो लोए सव्व साहूणं आई बो टू सेन्ट्स आव आल दी वर्ल्ड
धवलाटीका के अनुसार, इनके निम्न अर्थ हैं: मैं लोक के सभी बोधि-प्राप्त पूज्य पुरुषों को नमस्कार करता हूं। मैं लोक के सभी सिद्धि प्राप्त सर्वज्ञों को नमस्कार करता हूं। मैं लोक के सभी धर्माचार्यों को नमस्कार करता हूं। मैं लोक के सभी उपाध्यायों (पाठकों) को नमस्कार करता हूं। मैं लोक के सभी साधुओं (अध्यात्ममार्ग के पथिकों) को नमस्कार करता हूं।
ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन काल में पांच की संख्या का बड़ा महत्त्व था। इसीलिए पंचभूत, पंचप्राण, पंचरंग, पंच-आचार, पांच अणु-महाव्रत, पांच समिति और पांच आकृतियां स्वीकृत किये गये। इसमें से कुछ को णमोकार मन्त्र के विविध पदों से सह-सम्बन्धित किया गया है (सारणी 1)
सारणी 1 : णमोकार मन्त्र के पदों के अन्य पंचकों से सह-सम्बन्ध क्र. पद
रंग भूत प्राण आकृति
प्रभाव णमो अरिहंताणं सफेद
समान अर्धचन्द्र विनाशक णमो सिद्धाणं लाल
अग्नि उदान त्रिकोण संरक्षक णमो आयरियाणं पीला पृथ्वी
व्यान
वर्ग विनाशक णमो उवज्झायाणं नीला. वायु प्राण षट्कोण
निर्माणक णमो लोए धूम्र/ आकाश अपान वृत्त विनाशक सव्वसाहूणं
काला इस प्रकार इस मन्त्र में ऋणात्मक गुणों को नष्ट कर सकारात्मक गुणों के विकास का गुण है। यह स्पष्ट है कि इसमें नकारात्मक गुणों के नाश के प्रतीक तीन पद हैं। इसका अर्थ यह है कि इन गुणों के नाश में बहुत अधिक ऊर्जा लगती है। नकारात्मक गुणों में राग, द्वेष, मोह, तनाव, व्याधियां, पाप आदि माने जाते हैं। सकारात्मक गुण इनके विपरीत और प्रशस्त होते हैं। इस मन्त्र की विशेषता यह है कि यह व्यक्ति या दिव्य शक्ति आधारित नहीं है, यह पुरुषार्थवादी मन्त्र है। यह गुण-विशेषित मन्त्र है। फलतः यह सार्वदेशिक एवं त्रैकालिक मन्त्र है। यह वैज्ञानिक युग के भी अनुरूप है। इस मन्त्र का अंग्रेजी अनुवाद भी ऊपर दिया गया है। इसके आधार पर अंग्रेजी के णमोकार मन्त्र की साधकता भी विश्लेषित की गई है। गायत्री मन्त्र
जैनों के णमोकार मन्त्र के समान हिन्दुओं में गायत्री मन्त्र का प्रचलन है। इस मन्त्र को माता मन्त्र कहा जाता है। यह भक्तिवादी मन्त्र है जिसमें परमात्मा से सद्बुद्धि देने एवं सन्मार्ग की ओर प्रेरित करने की प्रार्थना की गई
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