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(362) : नंदनवन
प्रयोगशालाओ में अनुभव किया जा सकता है। वैज्ञानिक युग के पूर्व के शास्त्रों में इन परिवर्तनों का (स्थिरता, भाव-शुद्धि एवं शांति के प्रभावों के रूप में) परोक्षतः ही उल्लेख माना जा सकता है।
शास्त्रीय युग में मन्त्रों के प्रभावों के प्रति विश्वास एवं आकर्षण उत्पन्न करने के लिए यह आवश्यक था कि उनकी समग्र शक्ति या प्रभाविता को उनमें विद्यमान वर्गों की समग्र शक्ति के रूप में माना जाये। फलतः प्रत्येक मन्त्र की शक्ति का निर्धारण उसमें विद्यमान वर्णों की शक्ति के आधार पर किया गया है। अनुभव के आधार पर प्रत्येक वर्ण की विशिष्ट शक्ति या सामर्थ्य निर्धारित किया गया है। यह संकलित शक्ति ही मन्त्र की साधक क्षमता एवं उद्देश्य-पूरण क्षमता को व्यक्त करती है। फलतः
मन्त्र के प्रत्येक वर्ण की शक्ति का योग = मन्त्र की साधक क्षमता
इस लेख में वर्गों की शक्ति के आधार पर मन्त्रों की साधक क्षमता को विश्लेषित करने का प्रयत्न किया गया है। गोविन्दशास्त्री, नेमचन्द्र शास्त्री और सुशील मुनि ने विभिन्न वर्गों के सामर्थ्य का परम्परा प्राप्त संकलन दिया है। उसके आधार पर सारणी-2, 3 व 4 तैयार की गई हैं। इनका तुलनात्मक विश्लेषण सारणी 6 में दिया गया है। इन सारणियों में जैनों के 'णमोकार मन्त्र, हिन्दुओं के 'गायत्री मन्त्र' और बौद्धों के त्रि-शरण मन्त्र तथा ओम् मन्त्र को आधार बनाया गया है। साथ ही, यह विश्लेषण सभी मन्त्रों में 35 अक्षर मानकर किया गया है जिससे सार्थक तुलना हो सके। इस तुलना से एक रोचक और उत्साह-वर्धक यह तथ्य प्रकट होता है कि यदि पूर्वोक्त मन्त्रों में 35 अक्षर मान लिये जायें, तो सभी की साधक क्षमता लगभग समान होती है। हां, ओम् नामक 'प्रणव' बीजमन्त्र इसका अपवाद होगा, पर उसकी क्षमता, उसकी जप संख्या बढ़ाकर, सहज ही बढ़ाई जा सकती है। अग्रेजी में अनुदित मन्त्र की साधकता का विश्लेषण :
आजकल विभिन्न धर्मों के वैश्वीकरण की चर्चा जोरों पर है। इसके लिए संस्कृत-प्राकृत भाषा के मन्त्रों का अन्य भाषान्तरण आवश्यक है। इस हेतु अंग्रेजी सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त है। अनेक सूत्रों से णमोकार मन्त्र का अंग्रेजी अनुवाद हुआ है पर वह मन्त्र में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दों के समरूप शब्दों की विविधता के कारण प्रामाणिक अंग्रेजी-मन्त्र नहीं माना जा सकता। लेखक का विचार है कि जब मूल मन्त्र एक है, तो उसका भाषान्तरण भी एक ही शब्दावली में होना चाहिए। लेखक ने अंग्रेजी की सरल शब्दावली का उपयोग कर इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयत्न किया है कि अंग्रेजी में मन्त्र की साधक-क्षमता कैसी होगी ? सारणी 5 से पता चलता है कि अंग्रेजी में अनुदित मन्त्र की सामर्थ्य संस्कृत-प्राकृत मन्त्रों की तुलना में प्रायः 60 प्रतिशत ही आता है। इसका कारण सम्भवतः यह है कि अंग्रेजी में
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