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हिंसा का समुद्र : अहिंसा की नाव : (381)
तुलना में षट्गुणपतित हानि-वृद्धि-मय होती है। इसे हम न्यूनतम रूप में इनका अनन्तवां भाग मान सकते हैं। यदि हम अनन्त का मान,
अनन्त = उत्कृष्ट असंख्यात + 1 मानें, तो इसका औसत मान = 4.13 x 1031 x 10-10 यूनिट होगा। फलतः चार कोटि के एकेन्द्रियजीवों की प्रतिसमय होने वाली हिंसा 4 x 4.13 x 10-07 ~ 10-08 यूनिट होगी। यहां 1 का मान नगण्य मान लिया गया है। यदि इस हिंसा का 24 घंटे का मान "समय' के व्यावहारिक मान 10 सेकंड के आधार पर परिकलित किया जाय, तो दैनिक सामान्य और अनिवार्य हिंसा निम्न होगी :
___4x 4.13 x 10267 x 8.6 x 10 = 1.35 x 10277 यूनिट (अग्नि और जल हमारे आहार के पाचन में सदैव कार्यकारी रहते हैं)। (2) मल-विसर्जन-जन्य हिंसा"
गृहस्थों की दैनिक क्रियाओं में मल-मूत्र-विसर्जन, स्नान, निद्रा प्रमुख हैं। इनमें स्नान, निद्रा या विश्राम अवस्था में तो केवल जल एवं वायुकायिक जीवों की ही विराधना होती है। इसका परिमाण तो चौबीस घंटे के आधार पर आगे परिकलित किया गया है। मल-मूत्र विसर्जन में सम्भावित हिंसा किंचित् चर्चा करने योग्य है। बैस्ट और टेलर ने बताया है कि सामान्य व्यक्ति के मल की मात्रा लगभग 170-250. ग्राम होती है, जिसमें प्रायः एक चौथाई ठोस होते हैं। इस ठोस मल में एक तिहाई अर्थात् (200x0.25 x.33) = 15-17 ग्राम बेक्टीरिया होते हैं। यह बताया गया है कि एक ग्राम में लगभग 10° बेक्टीरिया होते हैं। फलतः मल-विसर्जन में 1.5 x 10° बेक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। फलतः इस कार्य में होने वाली हिंसा जीवन इकाइयों के रूप में 1.5 x 101° x 10+ = 1.5 x 10 यूनिट होगी। जैन शास्त्रों में सूक्ष्म जीवों का उल्लेख मात्र है। उसके वर्तमान विज्ञान द्वारा प्रयोग सिद्ध अनेक भेदों का वर्णन नहीं है। इन सूक्ष्म जीवों की इंद्रियता भी स्पष्ट नहीं है। वैज्ञानिक इन्हें एकेन्द्रिय मानते हैं। "सेंटर आफ साइंस आफ विलेजेज' के तत्कालीन निदेशक श्री डी.के.गुप्ता का मत है कि ये बैक्टीरिया एकेन्द्रिय ही होते हैं। यदि मल-विसर्जन खुले मैदान या स्थंडिल जमीन में किया जाय, तो वह 'वायुजीवी प्रक्रिया संपन्न कर स्थूल कृमियों को भी उत्पन्न कर सकता है जो नष्ट हो जाते हैं और इस रूप में अधिक हिंसा होती है। मल के भूमिपात के क्षेत्रफल को 10 सेमी. भी माना जाय, तो भूमिगत जीवों की निम्न विराधना होगी :
____ 1.5 x 10° x 10 x 10° = 1.5 x 1018 मल के तापमान से इस मात्रा में कुछ वृद्धि भी हो सकती है।
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