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१६ | मुक्ति का अमर राहो : जम्बूकुमार मम्मानित किया गया। ऋपभदत्त ने प्रचुर दान दिया और ममी की मगलकामनाओ का पात्र बना । श्रेण्ठि-प्रामाद मंगल गीतों मे गूंज उठा । १२ दिवस तक उल्लवो का आयोजन हुआ और हृदय के अतुलित हर्ष को विविध प्रकार ने अभिव्यक्ति मिलती रही। नामकरण संस्कार
अब बारी थी श्रेष्ठि-पुत्र के नामकरण संस्कार की । अत्यन्त शुभ मुहूर्त मे तत्सम्बन्धी समारोह आयोजित हुआ। विद्वान ज्योतिपियो को विशेष रूप मे निमन्त्रित किया गया था। दूर-समीप के समस्त स्वजन-परिजन, प्रतिष्ठित नागरिकजन, शुभाकाक्षीजन सभी समारोह में सम्मिलित हुए। पिता ने पडितो से बालक के नामकरण के लिए प्रार्थना की। पडितो ने समस्त परिस्थितियो पर पूरी तरह विचार किया और माता धारिणीदेवी ने स्वप्न मे जम्बू वृक्ष का दर्शन किया था और जम्बूद्वीप के अधिपति अनाधृत देव की कृपा स्वरूप ही श्रेष्ठि-दम्पति को पुत्र की प्राप्ति हुई थी-इस आधार पर बालक नाम 'जम्बूकुमार' रखा गया ।