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विनीत-अविनीत अश्वी की कथा | १५३
और शक्तिशाली अश्व थे। उन' अश्वो मे अपनी-अपनी अद्भुत विशेषताएँ थी। कोई सुन्दर था तो कोई साहसी । दूर-दूर से लोग गजा की अश्वशाला को देखने के लिए आते थे। राजा के इन अश्वो मे एक विनीत नाम का घोडा था और एक अश्व अविनीत नाम का भी था । इन अश्वो के स्वभाव के आधार पर ही कदाचित् इनका नामकरण इस प्रकार हुआ था । अविनीत की दुर्बलता यह थी कि ज्यो ही तनिक-सी प्रशंसा कोई उसकी करता, वह उसका दाम हो जाया करता था। फिर वह बहलाने वाला व्यक्ति उसे जिस किसी रास्ते पर डाल देता, वह उसी पर चल पडता था । यह सोचना उसके बस की बात नही होती थी कि अमुक मार्ग उसके योग्य है या नही अथवा उस मार्ग पर चलने की उसमे क्षमता है अथवा नही । वह तो यह भी नही सोच पाता था कि अमुक मार्ग के कारण कही उसकी कोई हानि तो नहीं हो जायगी। वह अत्यन्त प्रचण्ड व शक्तिशाली था और तीव्र वेग से गमन करता था। साधारण आरोही तो उसे नियन्त्रित भी नही कर पाता था। इसके विपरीत विनीत बड़ा ही सरल अश्व था । वह शक्तिशाली भी था, किन्तु उसमे उद्दण्डता नही थी । वह. बडा शान्त था और अवसरानुकूल वेग से गतिशील रहा करता था । सरल और उत्तम मार्ग पर गमन करने का ही वह अभ्यस्त था । कुमार्ग पर तो वह किसी भी परिस्थिति मे नही जाता था । यही कारण था कि सभी अश्वारोही विनीत के प्रति स्नेह का भाव रखते थे और अविनीत से भयभीत रहा करते थे। ये दोनो ही अश्व वडे सुन्दर और ऊंचे कद के थे ।