Book Title: Mukti ka Amar Rahi Jambukumar
Author(s): Rajendramuni, Lakshman Bhatnagar
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 229
________________ उपसंहार | २१७ साधना की परम उपलब्धि के रूप मे उन्हे 'केवलज्ञान' की प्राप्ति हुई। केवली जम्बूस्वामी ने ४४ वर्षों तक धर्म की खूब सेवा की। भगवान महावीर स्वामी के उपदेशो-शिक्षाओ का प्रचार, प्रसार करते हुए आर्य जम्बूस्वामी लाखो-करोड़ो नर-नारियो को आत्म-कल्याण की यात्रा के लिए प्रेरणा देते रहे । भगवान महावीर स्वामी के द्वितीय पट्टधर के रूप मे उन्होने स्वय को अत्यन्त प्रतिभा, अनन्त ज्ञान और गहन दर्शन का स्वामी सिद्ध किया । वे आर्य सुधर्मा के सुयोग्य उत्तराधिकारी थे। उनके श्रम और प्रभाव से श्रमण-परम्परा को जो शक्ति प्राप्त हुई-वह ऐतिहासिक महत्व की वस्तु है। इस परम्परा के विकास को जम्बू स्वामी द्वारा अद्भुत गति मिली थी। वीर निर्वाण सवत् ६४ (तदनुसार ईसा पूर्व ४६३) मे आर्य जम्बूस्वामी ने निर्वाण पद प्राप्त किया। इस समय उनकी आयु ५० वर्ष की थी। निर्वाण के समय आर्य जम्बूस्वामी ने प्रभव मुनि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और श्रमण-शासन की बागडोर उन्हे सौप दी। जम्बूस्वामी के जीवन काल मे आर्य भूमि साधना की ज्योति से जगमगाती रही और उनकी उत्कृष्ट साधना भविष्य के साधको को भी प्रेरणा देती रही ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245