Book Title: Mukti ka Amar Rahi Jambukumar
Author(s): Rajendramuni, Lakshman Bhatnagar
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 235
________________ परिशिष्ट ] २२३ प्रथम श्रुतस्कन्ध में जिन १६ अध्ययनो का वर्णन है, वह इस प्रकार-१. मेधकुमार, २. धन्ना सार्थवाह, ३. मयूर के अण्डो का, ४. दो कछुओ का, ५. थावच्चापुत्र, ६. तुम्बे के उदाहरण का, ७ धन्ना सार्थवाह की चार पुत्रवधुओ का, ८. तीर्थकर मल्ली भगवती का, ६. माकदीपुत्र जिनपाल और जिनरक्षित का, १०. चन्द्र के उदाहरण का, ११. समुद्र के किनारे होने वाले दावद्रव के वृक्ष का, १२ कलुषित जल को शुद्ध बनाने की पद्धति का, १३. दर्दुर का उदाहरण, १४. तेतलीपुत्र का वर्णन, १५. नन्दीफल का उदाहरण, १६. पाण्डव पत्नी द्रौपदी का अपहरण, १७. समुद्री अश्वो का, १८. सुसुमा का वर्णन जो धन्ना सार्थवाह की पुत्री थी, ११. पुण्डरीक और कुण्डरीक का वर्णन । द्वितीय श्रुतस्कन्ध मे--१. चमरेन्द्र, २. बलीन्द्र, ३. धरणेन्द्र, ४. पिशाचेन्द्र, ५. महाकालेन्द्र, ६. शकेन्द्र, ७. ईशानेन्द्र । 0 उपासकदशांग प्रस्तुत आगम द्वादशागी का सातवाँ अग है । इसमे १० उपासको की (श्रावको की) कथाएँ हैं जिनके नाम निम्नलिखित है १ आनन्द, २ कामदेव, ३. चूलणीपिता, ४. सुरादेव, ५. चुल्लशतक, ६. कुण्डकोलिक, ७. सकडालपुत्र, ८ महाशतक, . ६. नदिनीपिता, १० सालतियापिया-सालेपिकापिता। 0 अन्तकृतदशा सूत्र प्रस्तुत आगम द्वादशागी आठवां अग है । इसके आठ वर्गों मे ६० साधको का वर्णन किया गया है जिसका नामोल्लेख इस प्रकार है

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