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५ : वैराग्योदय
मनुष्य का भविष्य यथार्थ ही मे 'अदृष्ट' होता है। किसी के भवितव्य का अनुमान लगाना सुगम नहीं हुआ करता । श्रेष्ठि ऋषभदत्त और धारिणीदेवी ने जम्बूकुमार के सुखद गृहस्थजीवन की बड़ी ही भव्य और सरस कल्पनाएँ सँजो रखी थी। उन कल्पनाओ को आकार देने मे भी श्रेष्ठिदम्पति तत्परतापूर्वक व्यस्त थे। इसी योजना की क्रियान्विति के प्रथम चरण के रूप मे ही जम्बूकुमार का विवाह आठ सुलक्षणा कन्याओ के साथ निश्चित भी किया जा चुका था। जम्बूकुमार के भवितव्य से अनभिज्ञ इन अभिभावको की दशा कितनी दयनीय थी कि वे अपनी योजनाओ के सर्वथा ध्वस्त हो जाने के भावी तथ्य से सर्वथा अनजान थे । इधर उनकी सतरगी कल्पनाएँ सधन से सघनतर होती जा रही थी और उधर जम्बूकुमार का मन अन्य ही दिशा की ओर आकृष्ट होता चला जा रहा था।
आरम्भ मे ही जम्बूकुमार का मन जीवन और जगत् की उलझनो को सुलझाने के लिए मौलिक प्रयत्नो मे व्यस्त रहने लगा था। वे अन्तर्मुखी से हो गये थे। चिन्तनशीलता उनके स्वभाव का सहज अग था । गम्भीरता के साथ मानव जीवन के उच्चतम प्रयोजन को पहचानने की प्रक्रिया मे वे मगन रहा करते । प्राणियो