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: १ लोभी वानर की कथा : पद्मश्री का प्रयत्न
जम्बूकुमार को संसार-विमुखता एवं विरक्ति से हटाने के लिए सर्वप्रथम पद्मश्री ने प्रयत्न आरम्भ किया। उसने अपनी वाणी मे कोमलता का स्पर्श देते हुए पतिदेव को सम्बोधित किया और अपना मन्तव्य प्रकट किया कि विवेकशील प्राणियो को सदा सन्तोषी होना चाहिए। उपलब्ध सुख-वैभव से असन्तुष्ट रहकर 'और-और' की चाहना रखने वाले व्यक्तियो का जीवन अनेकानेक क्लेशो का समुच्चय बनकर ही रह जाता है। आपके जीवन मे सभी सुख हैं । सम्पन्न परिवार है, अपार वैभव और सुख-सुविधाएँ आपके लिए सदा उपलब्ध हैं, रति-सी सुन्दर आठ-आठ पत्नियाँ आप पर प्राण न्योछावर करने को तत्पर है। कोई भी तो अभाव नही है कि जिसकी पूर्ति की कामना आपके मन मे शेष हो । इन सुखो का उपभोग करके ही आपको अपने जीवन की सफलता और सार्थकता मान लेनी चाहिए । अन्तत ये सुख भी तो आपको अपने पूर्वजन्म के पुण्यो के परिणामस्वरूप ही प्राप्त हुए हैंइन्हे त्यागकर आप अन्य काल्पनिक सुखो को महत्व दे रहे हैंइसमे हमे कोई औचित्य प्रतीत नही होता। भाग्य ने जो सुख दिये हैं उन्हे ठुकरा कर पुन. सुख के ही पीछे भागना तो बड़ा अटपटा लगता है। आप इन नवीन सुखो को अधिक महत्वपूर्ण व वास्तविक कहकर भले ही उनके औचित्य का प्रतिपादन करना