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६४ | मुक्ति का अमर राही : जम्बूकुमार
पछतावे की कहानी क्या है ? जम्ब कुमार की रुचि देखकर समुद्रश्री का आत्मविश्वास अभिवधित हो गया। और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न नवीन उत्साह के साथ उसने वग किसान की कथा आरम्भ की--
हे स्वामी | मैं उस काल की चर्चा कर रही हूँ जब थली प्रदेश मे जल का बडा सकट था । कूए खोद-खोद कर किसान थक जाते किन्तु बूँदभर जल भी प्राप्त नही होता जलाभाव के कारण इस क्षेत्र मे कृषि की बडी ही दुर्दशा थी। सिंचाई के अभाव मे वहाँ वर्ष में केवल एक ही फसल पैदा हुआ करती थी। मोठ, बाजरा आदि मोटे अनाज ही थली प्रदेश मे होते थे और वहाँ के निवासियो का जीवन बडा नीरस था। नव-नवीन खाद्यो की उनकी लालसा तृप्त नही हो पाती थी। इसी थली प्रदेश मे युगो पूर्व एक किसान रहता था, जिसका नाम बग था। बग का अपना भरा-पूरा परिवार था। पत्नी, बच्चे भाई, बहन, माता-पिता
सभी स्वजनो के साथ वह इस क्षेत्र मे उपलब्ध समुचित सुखो से पूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा था । थली के अन्य निवासियो की अपेक्षा उसे अपने जीवन मे अधिक अभाव अनुभव हुआ करता था । इसका मूल कारण यह था कि उसका विवाह थली से बाहर अन्यत्र ऐसे प्रदेश मे हुआ था जहाँ समृद्ध कृषि का वरदान प्राप्त था । अपने श्वसुर के प्रदेश से उसका सम्पर्क था और वह इस प्रकार वहां के विभिन्न खाद्यो के सुस्वाद से परिचित हो गया था, जिनकी उपलब्धि उसे अपने परिवार मे नही हो पाती थी।