Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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૨૮ર.
भगवतीसत्रे ख्यातवर्षायुष्कसंज्ञिपश्चन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य आगत्योत्पद्यन्ते इति प्रश्नः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, । 'गोयमा' हे गौतम ! 'संखेजवासाउयसन्निपंचिदियतिरिक्खजोगिएहितो उपबति' संख्येयवर्षायुष्कसंज्ञिपश्चन्द्रियतियग्योनिकेभ्य आगत्योत्पद्यन्ते 'नो असंखेज्जवासाउयसन्निवंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति नो-न तु असंख्यातवर्षायुष्कसंज्ञिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य आगत्योत्पद्यन्ते हे भदन्त ! 'जह संखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खनोणिएहितो उअवज्जति' यदि संख्यातवर्षायुष्क संज्ञिपञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकेभ्य उत्पद्यन्ते तदाf; पज्जत्तसंखेन्जवासाउयसन्निपंबिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उपवज्जति' कि पर्याप्तसंख्यातवर्षायुष्क संक्षिपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उत्पधन्ते अथवाइसके उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम! 'संखेज्ज. यासाउयसनिपंचिंदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववजंति' वह वहां संख्यातवर्ष की आयुवाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से आकरके ही उत्पन्न होता है-'नो असंखेजवासाउयसंनिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए हिंतो उववति' असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकों से आकर के वह वहां उत्पन्न नहीं होता है।
अव इस पर गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'जह संखेज्जवासाउथसभिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति' हे भदन्त ! यदि वह वहां संख्यातवर्ष की आयुवाले संज्ञी पंचेन्द्रियतियंग्योनिकों से आकर के उत्पन्न होता है तो 'किं पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिभान छ -'गायमा !' गौतम 'संखेजवासाउयसन्निपचि दियतिरिक्खजोणिएहिता उववज्जति' त यो सभ्यात नी आयुष्या। सभी पये.
यतियय योनिमाथी मावीन. ४ पन्न थाय छे. 'नो असंखेज्जवासाउय. सन्निपचि दिय तिरिक्खर्जीणिएहिता उववज्जति' मसभ्यात व नी मायुष्य. વાળા સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિયતિર્યંચ નિવાળામાંથી આવીને ત્યાં ઉત્પન્ન થતા નથી.
હવે આ સંબંધમાં ગૌતમસ્વામી પ્રભુને એવું પૂછે છે કેजइ संखेजवासाउयसन्निपंचि दियतिरिक्खजोणिएहिं तो उववज्जति' ले सन् છે તે સંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળે સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિયતિર્યંચ યોનિકમાંથી भावी 64-न थाय छ, तो 'कि पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसन्निपंचिदियतिरि
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫