Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०६५ उ.४१०१ परिमाणभेदनिरूपणम्
'जीवत्थिकाए णे मंते ! पुच्छा' जीवास्तिकायः खलु भदन्त ! पृच्छा ? हे मदन्त ! जीवास्तिकायो द्रव्यार्थतया किं कृतयुग्मः योजो द्वापरयुग्म:-कल्योजो वेति प्रश्नः ? भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । गोयपा' हे गौतम ! 'कडजुम्मे' कृतयुग्मः जीवास्तिकायोऽनन्तस्वात् कृतयुग्म एव भवति । 'नो तेभोगे-नो दावरजुम्मे-नो कलिओगे' नो योजरूपो-न वा-द्वापरयुग्मो-न चा-कल्योजरूप इति । 'पोग्गलस्थिकाए णं पुच्छा ? पुद्गलास्तिकायः खलु भदन्त ! पृच्छा ? हे भदन्त ! पुद्गलास्तिकाया कि द्रव्यार्थतया कृतयुग्मरूपः, किंवा व्योजरूपः किं वा-द्वापर. युग्मरूपः ? अथवा-कल्योजरूप इति प्रश्न: ? भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! सिय कडजुम्में जाब सिय कलि भोगे' स्थात्-कदाचित्___'जीवस्थिकाए णं भंते ! पुच्छा' हे भदन्त ! जीवास्तिकाय द्रव्यरूप से क्या कृतयुग्मरूप है ? अथवा योजरूप है ? अथवा द्वापरयुग्मरूप है ? अथवा कल्योजरूप है ? इसके उत्तर रूप में प्रभुश्री श्रीगौतमस्वामी से कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम ! जीवास्तिकाय अनन्त होने से कृतयुग्मरूप ही है 'नो तेओगे, नो दावरजुम्मे, नो कलिओगे' वह न व्योज रूप है, न द्वापरयुग्मरूप है और न कल्योजरूप है। _ 'पोग्गलस्थिकारणं पुच्छा' इस सूत्र द्वारा श्रीगौतमस्वामी ने प्रभुश्री से ऐसा पूछा है-हे भदन्त ! पुद्गलास्तिकाय क्या द्रव्यरूप से कृतयुग्मरूप है ? अथवा योजरूप है ? अथवा द्वापरयुग्मरूप है, अथवा कल्योजरूप है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री श्रीगौतमस्वामी से कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम ! 'सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिभोगे' पुद्गलास्तिकाय
'जीवस्थिकाए णं भंते ! पुच्छा' हे भवन् तिय द्रव्यपाथी शु. કૃતયુગ્મ રૂપ છે? અથવા વ્યાજ રૂપ છે? અથવા દ્વાપરયુગ્મ રૂપ છે? અથવા કાજ રૂપ છે?
॥ प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री गौतमस्वामीन डे छ है-'गोया!' गौतम ! वास्ताय सनात पाथी कृतयुम ३५ छे. 'नो तेओगे, नो धावरजम्मे. नो कलिओगे' ते व्या ३५ नथी, तथा द्वापरयुम ३५ ५५ નથી. તેમ કાજ રૂપ પણ નથી.
'पोग्गलत्थिकाए णं पुच्छा' या सूत्राथी श्री गौतमस्वामी प्रभुश्रीन सेतु પૂછયું છે કે-હે કૃપાસિંધુ ભગવદ્ પુલાસ્તિકાય દ્રવ્યપણાથી શું કૃતયુગ્મ રૂપ છે? અથવા વ્યાજ રૂપ છે ? કે દ્વાપરયુગ્મ છે ? અથવા કાજ રૂપ છે ? मा प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री गौतमस्वामी ४ छ -'गोयमा ! गौतम! 'सिय कड़जुम्मे जाव सिय कलिओगे' पुरास्तिय द्र०याथी तयुग्म पर
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫