Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 890
________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.४ सू०१० क्षेत्रत्वेन पुद्गलनिरूपणम् ८७५ किं कडजुम्म० पुच्छा' परमाणुपुद्गलाः खलु मदन । किं कृतयुग्म० पृच्छा-हे भदन्त ! परमाणुपुद्गलाः किं कृतयुग्नपदेशावगाढाः योज० द्वापरयुग्म० कल्योज प्रदेशावगाढा वा भवन्तीति प्रश्नः। भगानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ? 'ओघादेसेणं कडजुम्मपरसोगाढा 'नो तेओग. नो दावर० नो कलियोग.' 'ओघादेशेन कृतयुग्म पदेशावगाढाः परमाणुपुद्गला नो योजप्रदेशाव गाढाः नो द्वापरयुग्मपदेशावगाढा न वा कल्योजपदेशावगाढा भवन्तीति । 'विहा. जादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा नो तेओग० नो दावर० कलियोगपएसोगाढा' विधानादेशेन एकै कशःनो कृतयुग्मन देशावगाढाः नो योजनदेशावगाढाः नो द्वापर. युग्मपदेशावगाढा किन्तु कल्योनपदेशावगाढा भान्ति ओघतः परमाणवस्तु कृत 'परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं कडजुम्म पुच्छा' अब गौतमस्वामी समस्त पुद्गल परमाणुओं को लेकर प्रभुश्री से ऐसा पूछते हैं-हे भदन्त! जितने भी पुद्गलपरमाणु हैं वे क्या कृतयुग्मप्रदेशावगाढ है ? अथवा योजप्रदेशावगाढ हैं ? अथवा द्वापरयुग्मप्रदेशावगाढ है ? अथवा कल्यो. जप्रदेशावगाढ है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा ! ओघा. देसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो ते भोग०, नो दावर०, नो कलिओग' हे गौतम ! सामान्य से समस्त पुद्गल परमाणु कृतयुग्मप्रदेशावगाढ हैं। योजप्रदेशावगाढ नहीं हैं द्वापरयुग्मप्रदेशावगाढ नहीं है और न कल्यो. जप्रदेशावगाढ है। 'विहाणादे सेणं नोकडजुम्मपएसोगाढा, नो तेओग० नो दावर, कलि प्रोगपए तोगाढा' तथा विशेष से समस्त पुदगल परमाणु न कृतयुग्मप्रदेशावगाढ हैं, न योजप्रदेशावगाढ हैं, न द्वापर- હવે શ્રી ગૌતમસ્વામી સઘળા પુદ્ગલ પરમાણુઓને લઈને પ્રભુશ્રીને से पूछे छे ,-'परमाणुपोगाला णं भंते ! किं कडजुम्मा पुच्छा' मापन જેટલા પુદ્ગલ પરમાણુઓ છે, તે શું કૃતયુમ પ્રદેશાવગાઢ છે? અથવા જ પ્રદેશાવગાઢ છે? અથવા દ્વાપરયુગ્મ પ્રદેશાવગાઢ છે? અથવા કાજ प्रदेश १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रभु श्री गीतमाभी छ४-'गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, 'नो तेओग० नो दावर० नो कलिओग०' गौतम! સામાન્યપણાથી સઘળા પુદ્ગલ પરમાણુ કૃતયુગ્મપ્રદેશાવગાઢ છે, જuદેશાવગાઢ નથી, દ્વાપરયુગ્મ પ્રદેશાવગઢ પણ નથી. તથા કાજપ્રદેશાવગાઢ હોતા નથી. 'विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएस्रोगाढा, नो तेओग० नो दावर० कलिओगपएसो. જાઢા” તથા વિશેષપણાથી સઘળા પુદ્ગલ પરમાણુ કૃતયુગ્મ પ્રદેશાવગાઢ નથી. તેમ જ પ્રદેશાવગાઢ પણ નથી તથા દ્વાપરયુગમ પ્રદેશાવગાઢ પણ નથી. પરંત શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫

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