Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 942
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ. ४ सू०१४ परमाण्वादीनां सैजत्वादिकम् ९२७ माणुः सर्वे जो भवतीति । 'निरेए कालमो के चिरं होई' परमाणुपुद्गलः कालतःकियचिरं निरेजो भवतीति प्रश्नः । भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! ' जहन्नेणं एवं समयं उक्को सेणं असंखेज्जं कालं' जघन्यत एकसमयपर्यन्तम् उत्कर्षेण असंख्येयं कालं परमाणु निरेजो भवतीति । 'दुप्पएसिए गं मंते ! खंधे देते काल के च्चिरं होई' द्विपदेशिकः खलु मदन्न ! स्कन्धः कालतः कियच्चिरं भवति ? हे भदन्त । द्विमदेशिकः स्कन्धः कियत्कालपर्यन्तं देशतः कम्पनवान् भवतीति प्रश्नः । भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'जहन्ने एकं समयं उकोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं' जघन्येन एकं समयम् उत्कर्षेण आवलिकाया असंख्येयभागम् । 'सब्वेए कालओ केनच्चिरं होई' सर्वे ज लियाए असंखेज्जइभागं' हे गौतम ! वह जघन्य से एक समय तक और उत्कृष्टसे आवलिका के असंख्यातवें भाग प्रमाण काल तक सर्वारमना सकम्प होता है । 'निरेए कालओ केवच्चिरं होई' हे भदन्त ! वह पुल परमाणु कितने समय तक निष्कम्प रहता है ? 'गोयमा जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं' हे गौतम! वह जघन्य से एक समय तक और उत्कृष्ट से असंख्यात काल तक निष्कम्प रहता है । "दुप्पएसिए णं भंते! खंधे देसेए कालओ केवच्चिरं होई' श्रीगौतमस्वामी इस सूत्रद्वारा प्रभुश्री से ऐसा अब पूछते हैं-हे भदन्त । द्विप्रदेशिक स्कन्ध काल की अपेक्षा कितने समय तक देश से सकम्प रहता है ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- "गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्को सेणं आवलियाए असंखेज्जइभाग' हे गौतम ! द्विदेशिक स्कन्ध काल की अपेक्षा जघन्य से एक समय तक और उत्कृष्ट से आवलिका के असंख्यातवें भाग प्रमाण काल तक एकदेश से सकम्प रहता है। असण्यातमा लाग प्रमाणु सुधी सर्वप्रहार सय होय छे, 'निरेप कालओ bafच्चिर होइ' डे लगवन् ते युगल परमाणु डेंटला समय सुषी निष्ठच २हे थे ? 'गोयमा ! जहन्नेणं एक्क समयं उक्कोसेण असंखेज्ज' काल" 3 ગૌતમ ! તે જઘન્યથી એક સમય સુધી અને ઉત્કૃષ્ટથી અસખ્યાત કાળસુધી निष्ठप रहे थे “दुत्परसिएण भंते ! खंधे देसेए कालओ केवच्चिर होइ શ્રી ગૌતમરવામી આ સૂત્રપાઠ દ્વારા પ્રભુશ્રીને એવુ' પૂછે છે કે-હે ભગવન્ એ પ્રદેશેાવાળા ધ કાળની અપેક્ષાથી કેટલા સમય સુધી સકપ રહે છે ? या प्रश्नना उत्तरमा अनुश्री डे छे ! - “ गोयमा ! जहन्नेणं एक्क' समय को सेणं आवलियाए असंखेज्जइभाग" हे गौतम! मे प्रदेशोवाणी संघ अजनी અપેક્ષાથી જઘન્યથી એક સમય સુધી અને ઉત્કૃષ્ટથી આલિકાના અસખ્યાતમાં શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫

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