Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 895
________________ भगवतीसो विधानतस्तु कृतयुग्मप्रदेशावगाढा अपि योजप्रदेशावगाढा अपि द्वापरयुग्मपदे. शायगादा अपि, कल्योग प्रदेशावगाढाश्चापि भवन्तीति भावः ॥ १०॥ मूलम्-परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मसमयहिईए पुच्छागोयमा! सिय कडजुम्मसमयट्रिइए जाव सिय कलिओग. समयहिइए, एवं जाव अणंतपएसिए। परमाणुपोग्गला गंभंते! किं कडजुम्म० पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयट्रिइया जाव सिय कलिओगसमयट्रिइया। विहाणादेसेणे कडजुम्मसमयद्विइया वि जाव कलिओगसमयहिइया वि एवं जाव अर्णतपएसिया। परमाणुपोग्गलेणं भंते ! कालवन्नपजवेहि किं कडजुम्म तेओगे० जहा ठिईए वत्तव्वया एवं वन्नेसु वि सम्वेसु गंधेसु वि एवं चेव एवं रसेसु जाव महुरो रसोति । अणंतपएसिएणं भंते ! खंधे कक्खडफासपजवेहि किं कडजुम्मे पुच्छा गोयमा! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलिओगे। अणतपएसिया णं भंते ! खंधा कक्खडफासपज्जवेहि किं कडजुम्मा पुच्छा ? गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कड जुम्मा जाव सिय कलिओगा। विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलिओगा वि। एवं मउय गरुय लहुया वि भाणियव्वा, सिय उसिण निद्ध लुक्खा जहा वन्ना । परमाणुपोग्गले णं भंते! किं सड़े अणड़े ? गोयमा! णो सड्ढे अगड्डे । दुप्पएसि णं पुच्छा गोयमा! युग्म और कल्योजप्रदेशावगाढ नहीं होते हैं। तथा विधान से-विशेष रूप से व्यक्तिगतरूप से वे कृतयुग्मप्रदेशावगाढ भी होते हैं योज. प्रदेशावगाढ भी होते हैं, द्वापरयुग्मप्रदेशावगाढ भी होते हैं और कल्योजदेशावगाढ भी होते हैं ।मू० १०॥ નથી. તથા વિધાનાદેશથી-વિશેષપણથી એટલે કે વ્યક્તિ પણાથી તેઓ કૃતસુમપ્રદેશાવગાઢ પણ હોય છે, પોજ પ્રદેશાવગાઢ પણ હોય છે. દ્વાપરયુગ્મ પ્રદેશાવગાઢ પણ હોય છે અને કલ્યાજ પ્રદેશાવમાઢ પણ હોય છે. સૂ૦ ૧૦૫ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫

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