Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.. सू०७ परमाणुपुद्गलानां अल्पबहुत्वम् ८२९ एकगुणकर्कशाद्विगुणकर्कशपुद्गलयोर्मध्ये द्रव्यरूपेण कस्याऽपेक्षया कस्याल्पत्वं बहुत्वं च कस्येति प्रश्नः ? भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! फर्कशादिस्पर्शचतुष्टयविविष्टपुद्गलेषु पूर्वपूर्वेभ्य उत्तरोत्तरा स्तथाविध स्वभावत्वात्-द्रव्यार्थतया बहवो वक्तव्याः शीतोष्ण स्निग्धरूक्षलक्षणस्पर्शविशेपितेषु पुनः कालादिवर्णविशेषिता इव-उत्तरोत्तरेभ्यः पूर्व पूर्व दशगुणान् यावद्-वहयो वक्तव्याः ततो दशगुणेभ्यः संख्येयगुणा तेभ्योऽनन्तगुणाः, अनन्तगुणेभ्यश्चाs. संख्येयगुणा बहवो भवन्ति एतदाशयेनाह-'एगगुणकक्खडेहितो' इत्यादि । 'एगगुणकक्खडेहितो पोग्गलेरितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया' एकगुणकर्कशेभ्यः पुद्गलेभ्यो द्विगुणकर्कशा पुद्गला द्रव्यातया विशेषाधिका भय. न्तीति । 'एवं जाव नवगुणकक्खडेहिंतो दसगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विसे साहिया एवं यावद् नरगुणकर्कशेभ्यः पुद्गलेभ्यो दशगुणकर्कशाः पुद्गला द्रव्यार्थतया द्रवरूपेण विशेषाधिका भवन्ति । 'दसगुडकखडेहितो पोग्गपर हैं ? और कौन किन से विशेषाधिक है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गले हितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया' हे गौतम! एकगुणकर्कश स्पर्शवाले पुद्गलों से द्विगुगकर्कशस्पर्शवाले पुद्गल द्रव्यरूप से विशेषाधिक है। 'एवं जाव नवगुणकखडेहितो पोग्गलेहितो दसगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया' इसी प्रकार से यावत् नौ गुणकर्कशस्पर्शवाले पुद्गलों से दशगुणकर्कशस्पर्शवाले पुद्गल द्व्यरूप से विशेषाधिक हैं। 'दसगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला व्य. ट्ठयाए बहुया' दशगुणकर्कश स्पर्शवाले पुद्गलों से संख्यातगुणकर्कश. અધિક છે ? કયા પુદ્ગલે કયા પુદ્ગલેની બરાબર છે? અને કયા પુદ્ગલે કયા पुदगले.थी विशेषाधि छ १ मा प्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री छे है-'गोयमा! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो दुगुणकक्खड़ा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया' હે ગૌતમ ! એક ગુણ કર્કશ સ્પર્શવાળા પુદ્ગલે કરતાં બે ગુણ સ્પર્શવાળા पुगो द्रव्यपथी विशेषाधि छ. 'एव जाव नवगुणकक्खडेहितो पोग्गले. हितो! दसगुणकक्खड़ा पोग्गला दव्वटुयाए विसेसाहिया' मे प्रभारी यात નવગુણ કર્કશ સમર્શ વાળા પુદ્ગલથી દસગણું કર્કશ સ્પર્શવાળા પુદ્ગલ દ્રવ્ય ३५था विपेषाधि छे. 'दसगुण कबडेहितो! पोग्गलेहितो संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए बहुया' ४५ सय ४४०२५ पुस ३२ता सभ्यात. ग।।४२२५ ५६गता द्रव्यपाथी पधारे छे. 'संखेज्जगुणकाखडेहितो पोग्गलेहितो! असंखेजगुणकक्खडा पोगाला दवट्याए बहुया' याता॥
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૫
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