Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 15 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 840
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.४९०७ परमाणुपुद्गलानां अल्पबहुत्वम् ८२५ गं भंते !' एतेषां खलु भदन्त ! 'एगपएसोगाढाणं दुष्पएसोगादाण य पोग्गलाणं पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो जाब विसेसाहिया वा' एकप्रदेशावगादानां-द्विपदेशावगादानां च पुद्गलानां प्रदेशार्थतया कतरे कतरेभ्यो यावद्-विशेषाधिका वा अत्र यावत्पदेन-'अल्पा वा बहुका वा तुल्या वा' एतेषां ग्रहणं भवति । हे भदन्त । एकप्रदेशिक-द्विप्रदेशिक पुद्गलयोर्मध्ये कस्याऽपेक्षया कस्याऽल्पत्वं-बहुत्वतुल्यत्वं विशेषाधिकरवं भवतीति प्रश्नः ? भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'एगपएसोगादेहितो पोग्गले हितो दुप्पएसोगाढा पोग्गला परसहयाए विसेसाहिया' एकपदेशावगाढेभ्यः पुद्गलेभ्यो द्विपदेशावगाढाः पुद्गलाः पदे. शार्थतया विशेषाधिकाः। द्विसदेशिकानां स्थानबहुत्वेन विशेषाधिकत्वसम्भवात्इति । 'एवं जाव नवपएसोगाढेहितो पोग्गछेहितो! दसपएसोगाढा पोग्गला ___'एएसिणं भंते ! एगपएसोगाढाणं दुप्पएसोगाढाण य पोग्गलाणं पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा' अब गौतमस्वामी प्रभुश्री से ऐसा पूछते हैं कि हे भदन्त ! एक प्रदेशावगाही पुद्गलों में और द्विप्रदेशावगाही पुद्गलों में से कौन पुद्गल प्रदेशरूप से किन पुद्गलों की अपेक्षा यावत् विशेषाधिक हैं ? यहां यावत्पद से 'अल्पा वा बहुका वा तुल्या वा' इन पदों का संग्रह हुआ है। इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा ! एगपएसोगाढेहितो पोग्गलेहितो दुप्पएसो. गाढा पोग्गला पएसट्टयाए विसे साहिया' हे गौतम ! एकप्रदेशावगाही पुद्गला से द्विप्रदेशावगाही पुद्गल प्रदेशरूप से विशेषाधिक हैं। क्यों कि द्विप्रदेशावगाही पुद्गलों के प्रदेश एक प्रदेशावगाही पुद्गलों के प्रदेशों से बहुत होते हैं । 'एवं जाव नव पएसोगाढेहिंतो पोग्गले 'एएसि ण भंते ! एगपएस्रोगाढा ण दुप्पएसोगाढाण य पोग्गलाण पए. सट्याए कयरे कयरेहि तो जाव विसेसाहिया वा' हवे श्री गौतमका भी प्रसुश्रीन એવું પૂછે છે કે-હે ભગવન એક પ્રદેશમાં અવગાહનાવાળા પુલોમાં અને બે પ્રદેશમાં અવગાહનાવાળા પુલમાંથી કયા પુલે પ્રદેશપણાથી ક્યા પદ્ર ४२di यात विशेषाधि४ छ १ महीयां यावर५४थी 'अल्पा वा बहुका वा તરવા ' આ પદનો સંગ્રહ થયેલ છે. આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ગૌતમ स्वाभान ४ छ -'गोयमा! एगपएसोगाढेहितो पोग्गलेहितो दुप्पएसोगाढा पोगला पएमट्याए विसेसाहिया' हे गौतम! : प्रदेशमा साईना. વાળા પદ્રલે કરતાં બે પ્રદેશમાં અવગાહનાવાળા પુદ્ગલે પ્રદેશપણથી વિશેષાધિક છે. કેમકે-બે પ્રદેશવાળા પુદ્ગલેનું સ્થાન વધારે હોય છે. 'एवं जाव नवपएसोगाढेहिंतो पोग्गलेहितो दसपएस्रोगाढा पोगगला पए. भ० १०४ શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૧૫

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